0 मौलिक रूप में दीमक द्वारा आच्छादित शिवलिंग है देऊर मंदिर की विशेषता
बालोद। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बालोद जिले में तीसरे दिन के अपने भेंट मुलाकात कार्यक्रम की शुरुआत प्राचीन देऊर मंदिर में दर्शन करके की। मुख्यमंत्री ने गुरुर के देऊर मंदिर में भगवान शिव के प्राचीन शिवलिंग की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि की मंगल कामना की। मुख्यमंत्री ने भगवान कालभैरव और नाग देवता के मंत्रोच्चार के बीच देऊर मंदिर में पूजा की। मुख्यमंत्री ने देऊर मंदिर के प्रांगण में रुद्राक्ष के पौधे का भी रोपण किया। देऊर मंदिर परिसर में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी मुख्यमंत्री ने दर्शन किए। मुख्यमंत्री ने मंदिर के पुजारियों को उपहार भी भेंट किए।
मौलिक रूप में दीमक द्वारा आच्छादित शिवलिंग है मंदिर की विशेषता
देऊर मंदिर में स्थापित शिवलिंग का स्वरूप अपने आप में विशेष है। इस प्राचीन मंदिर में शिवलिंग अपने मौलिक रूप में विद्यमान है। खास बात है कि शिवलिंग यहां गर्भगृह में दृष्टिगोचर नहीं है। ऐसा माना जाता है की यहां शिवलिंग भूतल से 5 फीट नीचे गहराई में स्थापित है और बाहरी तौर पर पूरा शिवलिंग दीमक द्वारा आच्छादित नजर आता है। दीमक के घर को स्थानीय भाषा में भूड़ू भी कहा जाता है और प्रचलित रूप में देऊर मंदिर में विराजमान भगवान शिव को भूड़ू वाले बाबा भी कहा जाता है।
द्रविड़ शैली के स्थापत्य और पिरामिड नुमा शिखर से निर्मित है ऐतिहासिक भूड़ू वाले बाबा का मंदिर
देऊर मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली की स्थापत्य कला के अनुरूप किया गया है। यहां गर्भ गृह में पिरामिड नुमा शिखर है, जिसमें श्री यंत्र निर्मित है। मंदिर के आचार्य श्री सुरेश पांडे ने बताया की यह ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण के विषय में दो मान्यताएं प्रचलित हैं। यह कहा जाता है कि कलचुरी शासकों द्वारा सातवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया। वहीं नागवंशी शासकों द्वारा 12वीं शताब्दी में इस मंदिर को बनवाया गया है,ऐसा भी माना जाता है। मंदिर के पीछे के हिस्से में एक प्राचीन शिलालेख भी है जो गोंडी भाषा में है।