0 अपंजीकृत खाद्य उत्पादों के पैकेजिंग पर लगने वाले जीएसटी के संबंध में भी हुई परिचर्चा
रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का राष्ट्रीय अधिवेशन दिनांक 25 जून 2022 को नागपुर में आयोजित हुआ जहां कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री पारवानी एवं कैट के प्रदेश अध्यक्ष श्री दोशी ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी. सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महासचिव श्री प्रवीण खंडेलवाल को सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन की तिथि आगे बढ़ाने हेतु ज्ञापन सौंपा तथा अपंजीकृत खाद्य उत्पादों के पैकेजिंग में लगने वाले जीएसटी पर रोक लगाने के सम्बन्ध में परिचर्चा की।
कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि 1 जुलाई 2022 से लागू होने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक पर बिना वैकल्पिक वस्तु के पूर्ण प्रतिबंध व्यापार और उद्योग के लिए अत्यंत ही हानिकारक साबित हो सकता है।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है परंतु बिना वैकल्पिक साधन के इस तरीके से प्रतिबंध लगाना पूर्णतः अव्यवहारिक है। उचित विकल्पों के अभाव में प्रदेश में व्यापार और व्यापारी दोनो ही प्रभावित होंगे जिसका दुष्प्रभाव यहां की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। अतः इसे रोकने हेतु सुनियोजित तरीके से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की तिथि को आगे बढ़ाना चाहिए।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी आगे कहा कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महासचिव श्री प्रवीण खंडेलवाल से अपंजीकृत खाद्य उत्पादों के पैकिंग पर लगने वाले जीएसटी से व्यापारियों पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चर्चा की गई। प्रदेश में संचालित लगभग 3 हजार खाद्य सामग्री उद्योग एवं वहां कार्यरत 3 लाख से अधिक कर्मचारियों पर प्रत्यक्ष रूप से इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। अपंजीकृत पैकिंग वाले खाद्य सामग्री जीएसटी लगने से मंहगे हो जायेंगे जिसका मध्यमवर्गीय परिवार पर मंहगाई का अतिरिक्त बोझ आ जायेगा। मंहगाई अभी अपने चरम पर है वर्तमान में इस प्रकार के निर्णय पर और भी विचार करने की आवश्यकता है।