मनरेगा की आड़ में फर्जीवाड़ा

0 श्रमदान कराकर मनरेगा की राशि हड़पने साजिश 
0 मनरेगा अधिकारी को ही काम का नहीं है पता 
(अर्जुन झा)दल्ली राजहरा। ग्राम विकास का माध्यम सरपंच होता है, लेकिन ग्राम विकास के बहाने सरपंच ही अगर एक मद का काम दूसरे मद में कराने लग जाएं तो मामला गंभीर बन जाता है, कुछ ऐसा ही मामला डौंडी ब्लाक के ग्राम पंचायत कांडे से उजागर हुआ है, जहां के सरपंच द्वारा मनरेगा कार्य के करीब सौ से अधिक मजदूरों को गौठान में पौधा लगाने के नाम पर दोहरा कार्य में लगा दिया गया।
जब मीडिया की जानकारी में फर्जीवाड़े का यह मामला पहुंचा तो संबंधित स्थल पर जानकारी ली गई। सरपंच पायला ने बड़ी चतुराई के साथ जवाब दिया कि यह कार्य श्रमदान से किया जा रहा है।श्रमदान सुबह 6 बजे से 9 बजे तक हुआ और मैंने भी स्वयं श्रमदान किया है। लेकिन इसी कार्य में लगे मजदूरों को पूछने पर समस्त मजदूरों ने कहा कि यह कार्य वे सभी मनरेगा अंतर्गत सरपंच पायला के कहने पर कर रहे हैं। बड़ी बात ये है कि सरपंच के कथन की सच्चाई जानने जब मीडिया ने डौंडी मनरेगा अधिकारी नीरज वर्मा से बात की, तो उन्होंने साफ शब्दों में यह कहा कि मनरेगा के नाम से अन्यत्र स्थल में विभाग को बिना सूचना दिए काम कराया जा रहा है तो वह पूरी तरह फर्जी काम है। जिसकी जांच तत्काल कराए जाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि वे अभी दुर्ग में हैं। वे तकनीकी सहायक प्रशांत सोनबोईर को भेजकर मामले की जांच कराएंगे। जांच में मनरेगा की जगह अन्यत्र स्थल पर कार्य कराया जाना पाया गया तो समस्त मजदूर का मजदूरी दिवस वे रोक देंगे। ऐसे में यह कार्य फर्जी कार्य कहलाएगा। इस संदर्भ में जब वन विभाग के अधिकारी जीवन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ग्राम कांडे में पौधा लगाने बाबत ग्राम सरपंच ने कोई बातचीत नहीं हुई है और न ही पौधों की मांग सरपंच द्वारा की गई है। जबकि सरपंच ने पौधा संरक्षण करने की बात कही बगैर विभाग के परमिशन की कह रही है। मनरेगा की आड़ में सरपंच द्वारा पौधरोपण कराए जाने की बात किसी के गले उतर नहीं रही है। जाहिर सी बात है कि सरपंच की मंशा क्या हो सकती है?कहना यह होगा कि जिस जवाबदेही के साथ ग्रामीण अपने ग्राम का प्रमुख सरपंच को बनाते हैं, वह पद में आने के बाद किस तरह से कार्य को अंजाम देते आ रहे हैं? इस पर निश्चित ही जांच होनी चाहिए।

 

 

सांकेतिक फ़ोटो,

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