० धुर नक्सलग्रस्त इलाके में पहुंचा कांग्रेस का काफिला
० तीसरे दिन धुरली से शुरू हुई छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा
(अर्जुन झा)जगदलपुर। आज से बारह साल पहले छत्तीसगढ़ के शीर्ष कांग्रेस नेताओं ने छत्तीसगढ़ को बचाने के लिए जिस इलाके में अपनी जान की कुर्बानी दी थी, वैसे ही धुर नक्सल प्रभावित इलाके में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज अपने काफिले के साथ गुजर रहे हैं। अपनी जान की फिक्र छोड़कर दीपक बैज बस्तर को बचाने के लिए निकले हैं। उनकी पदयात्रा धुर नक्सल प्रभावित इलाके में दाखिल हो चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के नेतृत्व में बस्तर के हक अधिकारों के लिए जल, जंगल, जमीन एवं खनिज संसाधनों को निजी उद्योगपतियों से बचाने हेतु किरंदुल से दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ न्याय पदयात्रा तीसरे दिन धुरली से प्रारंभ हुई। पीसीसी चीफ दीपक बैज की पदयात्रा 26 मई को बस्तर की खनिज नगरी किरंदुल से शुरू हुई है। दूसरे दिन पदयात्रा बचेली पहुंची और रात्रि विश्राम के बाद वहां से रवाना हुई पदयात्रा बस्तर के सुदूर अंचलों, पहाड़ी रास्तों और अति संवेदनशील क्षेत्रों से होकर जन जन से मिलती हुई धुरली से गमावाड़ा की ओर बढ़ रही है। पदयात्रा धुरली और गमावाड़ा के बीच कुल 13 किलोमीटर की होगी और पातररास में रात्रि विराम के लिए रुकेगी। पहले दिन पीसीसी चीफ दीपक बैज के साथ पदयात्रा में पचासों लोग थे, दूसरे दिन भीड़ सैकड़ों की हो गई और अब हजारों की हो चुकी है। जिस इलाके से दीपक बैज अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ अभी गुजर रहे हैं, वह इलाका नक्सली गतिविधियों के लिहाज से बेहद खतरनाक माना जाता है। मगर दीपक बैज को अपनी जान की जरा भी चिंता नहीं है। उन्हें चिंता है तो बस्तर के आदिवासियों की, बस्तर के जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधनों के यहां के आदिवासियों के हाथों से निकल जाने की। दीपक बैज का कहना है कि बस्तर संभाग के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा पर यहां के निवासियों का पहला हक है। दीपक बैज का आरोप है कि भाजपा सरकार आने के बाद से छत्तीसगढ़ के संसाधनों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। विष्णुदेव साय सरकार ने छत्तीसगढ़ को एक बार फिर कॉर्पोरेट घरानों का चारागाह बना दिया है। बस्तर की चार बड़ी लौह अयस्क खदानें निजी पूंजीपतियों को दे दी गई हैं।बैलाडीला की खदान 1-ए और 1-बी आर्सेलर मित्तल के हवाले को 50 साल के लिए कर दी गई हैं। बैलाडीला 1-सी खदान रूंगटा स्टील को 50 सालों के लिए दे दी गई है। कांकेर जिले की हाहालादी खदान सागर स्टोन को 50 साल के लिए दी गई है। यह शुरुआत है इसके बाद बस्तर की सभी बहुमूल्य खनिज संपदा को अडानी को सौंपने की तैयारी की जा रही है। अडानी के लिए बस्तर में रेड कारपेट बिछाई जा रही है। श्री बैज ने कहा कि यह सिर्फ बस्तर की खनिज संपदा के निजीकरण का मामला नहीं है, बल्कि हमारी अस्मिता, हमारे अस्तित्व, हमारी संस्कृति और परंपराओं पर भी सीधा हमला है। इन कॉर्पोरेट घरानों के माध्यम से लाखों बाहरी लोग बस्तर में आकर बस जाएंगे और हमारी संस्कृति, परंपरा से खिलवाड़ करने लगेंगे। दीपक बैज ने कहा कि इतना सब देखते हुए भी बस्तरवासी नहीं जगे, तो हम सबका भविष्य कतई सुरक्षित नहीं रहेगा। उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ बचाने के लिए यात्रा पर निकले छत्तीसगढ़ के दिग्गज कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार समेत दर्जनों नेता, पुलिस जवान और आम नागरिक नक्सली हमले में शहीद हो गए थे।
शामिल हुए सुशील मौर्य
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के नेतृत्व में बस्तर के हक अधिकारों के लिए जल, जंगल, जमीन एवं खनिज संसाधनों को निजी उद्योगपतियों से बचाने के लिए किरंदुल से दंतेवाड़ा तक निकाली जा रही छत्तीसगढ़ न्याय पदयात्रा के तीसरे दिन की धुरली से जारी यात्रा में बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष सुशील मौर्य भी शामिल हुए। सुशील मौर्य के साथ जगदलपुर के दर्जनों नेता और कार्यकर्ता धुरली पहुंचे थे। श्री मौर्य और उनके साथ गए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कई किलोमीटर का लंबा फासला पीसीसी चीफ दीपक बैज के साथ पैदल तय किया।