डबल इंजन की सरकार राज्य का पूरा चावल नहीं ले रही धान खुले बाजार में बेचना पड़ रहा – शुक्ला

0 भाजपा सरकार बनने के बाद धान खरीदी में भ्रष्टाचार हो रहा है

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा सरकार इस वर्ष 40 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान को खुले बाजार में बेचने जा रही है। लगभग इतना ही धान उत्पादन से अधिक है जिसे सरकार ने खरीदा है। मतलब किसानों के पैदा किये धान से 44 लाख मीट्रिक टन धान अधिक खरीदा गया जिसे खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। यह राज्य के खजाने पर डकैती है तथा संगठित भ्रष्टाचार है। प्रदेश में किसानों से धान खरीदी के नाम से भाजपा सरकार ने 13,000 करोड़ से अधिक की गड़बड़ियां घोटाला किया है, जिसका भांडा रोज फूट रहा है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा सरकार ने सदन में प्रदेश में 110 लाख मैट्रिक टन धान उत्पादित होने का आंकड़ा दिया है। सरकार ने इस वर्ष जो धान खरीदी किया है वह 154 लाख मैट्रिक टन से अधिक हैं। जब प्रदेश में इतना धान उत्पादित नहीं हुआ है, जितना खरीदी बताया जा रहा है तो सरकार को जवाब देना चाहिए की 110 लाख मीट्रिक टन से ऊपर की जो 44 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है वह धान कहां से आया है? पिछले वर्ष भी सरकार ने उत्पादन से लगभग 10 लाख मीट्रिक टन धान अधिक खरीदा था, विधानसभा में सरकार ने बताया था कि पिछले वर्ष धान का उत्पादन 100.3 लाख मीट्रिक टन हुआ था तथा सरकार ने 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का दावा किया था जब उत्पादन कम था तो खरीदी ज्यादा कैसे हो सकती है? राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद लगातार इस प्रकार का घोटाला हो रहा है। दूसरे राज्यों का धान समर्थन मूल्य पर राज्य में खरीदा गया तथा राज्य के खजाने में डाका डाला गया।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कि भाजपा डबल इंजन की सरकार का दंभ भरती है यदि राज्य सरकार के द्वारा कुल उपार्जित धान के द्वारा बने चावल को केंद्र सरकार सेंट्रल पुल में नहीं खरीद रही है तो ऐसी डबल इंजन की सरकार का राज्य की जनता को क्या फायदा? राज्य के भाजपा के नेता दलीय प्रतिबद्धता में मोदी सरकार के द्वारा राज्य के साथ किये जा रहे अन्याय पर चुप्पी साधे हुए है। मुख्यमंत्री, मंत्री, भाजपा के पदाधिकारी किसी ने भी राज्य के सेंट्रल पुल के चावल के कोटे को बढ़ाने के बारे में एक बार भी नहीं कहा।

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