रायपुर। धरना प्रदर्शन के संदर्भ में जारी दिशा निर्देशो के विरोध में नक्सलियों ने बयान जारी किया है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा इसके पहले भारतीय जनता पार्टी भी इस निर्देश के विरोध में आंदोलन कर चुकी है। प्रदेश में धरना प्रदर्शन आंदोलन के लिये अनुमति लेने का नियम पहले से लागू है। 15 साल तक रमन सरकार इस नियम का पालन करवाती थी तब नक्सलवादियों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया था आज भाजपा और नक्सलियों का सुर एक क्यों हो गया? यह इससे साफ हो रहा है कि नक्सलवादियों और भाजपा में सांठ गांठ है जो भाजपा चाहती है वही नक्सली भी चाहते है। 15 साल तक जो नियम कायदे भाजपा की सरकार के लिये मुफीद थे वह नक्सलियों को भी मंजूर था। जब सरकार बदल गयी भाजपा को आपत्ति हो गयी। नक्सली भी विरोध में आ गये। भाजपा के 15 साल के राज में नक्सलवाद ऐसे ही नहीं बस्तर के तीन ब्लाक से निकल कर पूरे प्रदेश में फैल गया था। भाजपा नक्सलवाद को खाद, पानी देती रही तभी प्रदेश में नक्सलवाद का विस्तार हुआ। झीरम में कांग्रेस नेताओं की पूरी पीढ़ी की नक्सलियों द्वारा किये गये हत्याकांड का राजनैतिक लाभ भी तो भाजपा को ही हुआ था। छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी और भाजपा एक दूसरे के पूरक हैं। धीरे-धीरे भाजपा का यह नापाक गठबंधन बेनकाब हो गया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा कि भाजपा और नक्सलियों के विचारधारा लगभग एक है दोनों भारत के संविधान के विपरीत काम करने में विश्वास रखते हैं जिस प्रकार से नक्सली संगठन ने भाजपा के मुद्दे को समर्थन किया है भाजपा भी डरा धमका कर अपनी राजनीतिक मंशा को पूरा करना चाहती है और नक्सली भी बंदूक और जान का भय दिखाकर नागरिकों के विकास को बाधित कर रही है इससे स्पष्ट समझ में आता है कि छत्तीसगढ़ में 15 साल में दो विकासखंड तक सीमित संवाद 14 जिलों तक कैसे पहुंच गया 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने मतदान करने जाने वालों के उंगलियों को काटने की धमकी दिए थे उस दौरान भाजपा निर्वाचन आयोग के सामने जाकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान करने वालों के उंगली में स्याही नहीं लगाने की मांग किए थे से स्पष्ट हो जाता है कि नक्सली और भाजपा की विचारधारा एक सिक्के के दो पहलू हैं।