0 विपक्षी नेताओं के इशारे पर सरकार की छवि धूमिल करने की कोशिश
0 ठेकेदारों को डरा धमका रहे हैं तथाकथित पत्रकार
भानुप्रतापपुर। जबसे सोशल मीडिया का दौर शुरू हुआ है, तबसे बस्तर संभाग में फर्जी पत्रकारों की भरमार हो गई है। इन तथाकथित पत्रकारों ने मोबाईल फोन और सोशल मीडिया प्लेटफार्म को अवैध कमाई का साधन बना लिया है। वहीं विपक्षी दल के नेता इन तथाकथित पत्रकारों को मोहरा बनाकर भाजपा सरकार की छवि धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
जबसे छत्तीसगढ़ की सत्ता भाजपा के हाथों में आई है, नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में सड़क, पुल पुलियों का निर्माण बड़े पैमाने पर कराया जा रहा है। अति नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। बस्तर का यह विकास विपक्ष में बैठे चंद नेताओं और वामपंथी विचारधारा वाले लोगों को रास नहीं आ रहा है। ये लोग बस्तर की विकास यात्रा में बाधा डालने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।सड़क व दीगर निर्माण कार्यों से जुड़े ठेकेदारों को डराने धमकाने और उनसे उगाही की कोशिश आम बात हो गई है। ऐसे तत्वों की वजह से ठेकेदार काम नहीं करवा पा रहे हैं। नक्सलियों की वजह से बस्तर संभाग में निर्माण कार्यों को अंजाम देना बड़ा ही चुनौती भरा होता है। फिर भी ठेकेदार अपनी जान जोखिम में डालकर सड़क, पुल पुलिया भवन आदि का निर्माण करा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग भानुप्रतापपुर संभाग के सड़क निर्माण कार्य दुर्ग कोंदल, कापसी, पखांजुर क्षेत्र में ठेकेदारों के माध्यम से कराए जा रहे हैं। ठेकेदार हजारों करोड़ रुपए के निर्माण कार्य करा रहे हैं।धुर नक्सल इलाके में अपनी जान जोखिम में डाल कर ये ठेकेदार निर्माण कार्य संपन्न करा कर विभाग और प्रदेश सरकार को सहयोग करते हैं।पूरे प्रदेश में साय सरकार लोक निर्माण विभाग के माध्यम से विकास कार्य को गति प्रदान कर रही है, किंतु कुछ विघ्न संतोषी किस्म के लोग विपक्षी दल के साथ अपने आप को सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकार बता कर ठेकेदार निर्माण से संबंधित खबर बिना विभागीय पुष्टि के छाप कर निर्माण कार्य में बाधा डाल रहे हैं। अमूमन पूरे प्रदेश में ठेकेदारों को लेकर लगातार मीडिया में भ्रामक स्थिति पैदा की जा रही है। किंतु ऐसे लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि ठेकेदार भी निर्माण एजेंसी के महत्वपूर्ण अंग हैं, जिनके माध्यम से रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं। अतः अब सरकार को भी सामने आकर विभागीय मदद करने वाले अपने पंजीकृत ठेकेदारों को विभागीय अधिकारियों से सहयोग दिलाने और निहित स्वार्थ की खातिर अनर्गल प्रचार करने वालों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि सरकार की मंशा के अनुरूप रोजगार और निर्माण को सफलतापूर्वक बढ़ावा मिल सके।