० डेढ़ माह में सरकार आधे किसानों का भी धान नही खरीद पाई है
० सरकार अभी से धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाने की घोषणा करे
रायपुर। धान खरीदी डेढ़ महीने पूरा हो गया है लेकिन अभी तक मात्र 67 लाख टन धान की खरीदी ही हो पाई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि इसी रफ्तार से धान की खरीदी होगी तो 31 जनवरी तक जो धान खरीदी का जो लक्ष्य निर्धारित है 160 लाख मिट्रिक टन धान खरीदी करने का वह पूरा हो पाना असंभव है अभी 29 लाख पंजीकृत किसानों में से बमुश्किल से 40 फीसदी किसान ही अपना धान बेच पाये है इस रफ्तार से खरीदी होगी तो सरकार पूर किसानों का धान नही खरीदेगी। जिस धीमी गति से धान खरीदी हो रही है ऐसे में 29 लाख किसानों से धान खरीदी सम्भव ही नही है। जब तक प्रतिदिन 60 हजार से अधिक किसानों से 4 लाख मिट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीदी नही होगी तब तक 160 लाख मिट्रिक टन का लक्ष्य पूरा नही होगा। सरकार अभी से धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाने की घोषणा करे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि 14 नवंबर को धान खरीदी शुरू हुई उस दिन से लेकर आज तक किसान टोकन, बारदाना की कमी, धान तौलाई में गड़बड़ी और प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने के साथ एक मुश्त 3100 रु प्रति क्विंटल की दर से भुगतान की मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं विपक्ष लगातार धान खरीदी में अव्यवस्था को सुधारने की मांग कर रहा है। इसके बावजूद सरकार हठधर्मिता अपनाई हुई है रोज नए-नए समस्या उत्पन्न करके धान खरीदी में बाधा उत्पन्न कर रही है। सोसायटियों में बारदाने की कमी है, जिससे किसानों को धान बेचने में परेशान होना पड़ रहा। सरकार ने कहा है कि 50 प्रतिशत नये, 50 प्रतिशत पुराने बारदानों का उपयोग किया जाये। 50 प्रतिशत पुराने बारदाने समितियों में पहुंचे ही नहीं है, जिसके कारण धान खरीदी बाधित हो रही है। पुराने बारदाने फटे हुये है जिसमें धान भरा ही नहीं जा सकता, किसानों से कहा जा रहा 50 प्रतिशत बारदानो की व्यवस्था स्वयं करो उसका भुगतान किया जायेगा, लेकिन किसानों के बारदाने का पैसा भी नहीं मिल रहा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि टोकन की व्यवस्था अव्यवहारिक है, जिससे किसानों को परेशान होना पड़ रहा, नंबर ही नहीं आ रहा। टोकन कटने की तारीख से 7 से 10 दिन बाद धान बेचने के लिये किसानों को बुलाया जा रहा है। 15 दिन बाद तक का भी टोकन नहीं मिल रहा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार की आने बलबूते पर पहला धान खरीदी है जो असफल होते दिख रहा है। भाजपा सरकार वादनुसार किसानों 3100 रु प्रति किवंतल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने से बचना चाहती है इसलिए अनेक प्रकार से संकट पैदा कर रही है।किसानों की गिरदावरी, अनावरी रिपोर्ट में गड़बड़ी की गई फिर बारदाना का संकट, उसके बाद उठाव नही होने के कारण जगह की भी कमी है धान खरीदी बाधित हो रही है।