रायपुर। भाजपा का डीएनए संविधान विरोधी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ने तय कर लिया था कि यदि 400 से अधिक सीटें आ जाएगी तो संविधान बदल देंगे। देश की जनता ने भाजपा को 240 में समेट दिया तो उनकी मंशा पूरी नहीं हुई, संविधान बदलने के भाजपाई मंशा के कारण देश भर में भाजपा के खिलाफ माहौल बना तो भाजपा मजबूरी में संविधान की पैरोकार बनने का ढोंग करती है। कांग्रेस ने गांधी जी के नेतृत्व में देश को आजादी दिलाई, लोकतंत्र की बुनियाद नेहरू जी ने रखा, बी.आर. अंबेडकर के प्रयासों से हमें दुनिया का बेहतरीन, लिखित संविधान मिला लेकिन भाजपा की बदनीयती संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा तो मुखौटा है, उनके पित्रसंगठन आरएसएस को आरंभ से ही संविधान से शिकायत रही है। शिकायत समता और समानता के अधिकार से रही है। दलित, आदिवासी, पिछड़ों को अधिकार संपन्न बनाने से इन्हें शिकायत रही है। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाने के महज़ 4 दिन के भीतर ही आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने संविधान की कठोर आलोचना की थी, कहा था कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है, उसके बाद से लगातार संघ प्रमुखों के संविधान विरोधी बयान आते रहे। के. सुदर्शन ने अप्रैल 2000 में आरएसएस संघचालक बनने के बाद कहा “भारत के संविधान को समाप्त कर देना चाहिए उसके स्थान पर धर्म ग्रंथों पर आधारित संविधान लिखा जाना चाहिए।“ लगभग यही बात है मोहन भागवत ने भी कही संविधान में बदलाव की वकालत की, कर्नाटक की सभा में कहा कि दो तिहाई का बहुमत इसलिए चाहिए ताकि संविधान बदला जा सके। आरएसएस के साथ-साथ भाजपा के ही तमाम नेताओं ने विगत लोकसभा चुनाव के दौरान 400 पार के नारे के समर्थन में संविधान बदलने की बात को स्वीकार किया। राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, कर्नाटक के छह बार के भाजपा सांसद आनंद हेगड़े, फैजाबाद के लोकसभा प्रत्याशी लल्लू सिंह, तेलंगाना के भाजपा सांसद अरविंद धर्मपुरी, नागौर के प्रत्याशी ज्योति मिर्धा सहित अनेको भाजपा नेताओं ने संविधान बदलने के भाजपा के षड्यंत्र को उजागर किया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि आज देश के भीतर जो हालात हैं जो असमानता दिनों दिन बढ़ रही है, जो अमीरी और गरीबों के बीच की खाई चौड़ी होते जा रही है, महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी बढ़ती जा रही है, देश के संसाधन सार्वजनिक उपक्रम पूंजीपति मित्रों को सौंपे जा रहे हैं, संसाधनों का केंद्रीकरण किया जा रहा है, सत्ता के संरक्षण में निवेशकों के साथ ठगी हो रही है, क्या यह संविधान की मूल भावना की विपरीत नहीं है? केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग विपक्ष के नेताओं को डराने के लिए किया जा रहा है। 2014 के बाद से ईडी, आईटी, सीबीआई की कार्रवाई में 95 प्रतिशत विपक्ष के नेताओं को लक्ष्य करके किया जा रहा है और जो नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं उनके खिलाफ जांच की प्रक्रिया रोक दी जा रही है। कई मामलों में तो जांच एजेंसी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करके मामले वापस ले रहे हैं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहान, पूर्व उड्डयन मंत्री प्रहलाद पटेल, छगन भुजबल, हेमंत बिसवा सरमा, मुकुल राय, सुवेंदु अधिकारी, रेडी ब्रदर्स, येदुरप्पा, एकनाथ शिंदे, नारायण राणे जैसे कई उदाहरण हैं।