जयराम रमेश ने सोशल मीडिया के माध्यम से पीएम मोदी से किये 3 सवाल

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के महासचिव संचार विभाग के अध्यक्ष जयराम रमेश ने पहले झारखंड को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन सवाल पूछे थे इस बार उन्होंने महाराष्ट्र को लेकर सवाल पूछे। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया के माध्यम से पीएम मोदी से 3 सवाल किये। वर्ष 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम पारित किया था। इस कानून ने आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने ख़ुद के जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक रूप से लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था। लेकिन भाजपा सरकार इसके कार्यान्वयन में बाधा डालती रही है, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो रहे हैं। महाराष्ट्र में कुल फाइल किए गए 4 लाख 01 हजार 46 व्यक्तिगत क्लेम्स में से केवल 52 प्रतिशत (2,06,620 क्लेम्स) मंजूर किए गए हैं। वहीं इसके तहत वितरित की गई भूमि, स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर का केवल 23.5 प्रतिशत (11,769 वर्ग किलोमीटर) है।

महाराष्ट्र में भाजपा सरकार राज्य के आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार देने में क्यों विफल रही है? सतारा, सांगली और सोलापुर में पीने के पानी की कमी की समस्या हाल के वर्षों में और गम्भीर हो गई है। मार्च और अप्रैल के बीच, सांगली में टैंकरों की आवश्यकता 13 प्रतिशत, सतारा में 31प्रतिशत और सोलापुर में 84 प्रतिशत बढ़ गई। क्षेत्र के बांध, तालाब और झीलें चिंताजनक रूप से तेज़ी से सूख रहे हैं। सोलापुर में हालात सबसे ज़्यादा ख़राब हैं। शहर के पानी के मुख्य स्रोत, उजानी बांध में पानी की आपूर्ति शून्य से नीचे गिर गई, और बांध में डेड स्टोरेज पर निर्भर रहा। स्थिति इतनी ख़राब हो गई कि सोलापुर नगर निगम को अब बारी-बारी से पीने के पानी की आपूर्ति करनी पड़ी। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पांच से आठ दिनों के अंतराल पर पानी मिल रहा था। भाजपा ने उन हज़ारों लोगों की दुर्दशा को नज़रअंदाज़ क्यों किया है जो पानी की कमी से जूझते हैं? क्या इस स्थिति को सुधारने के लिए उनके पास कोई ठोस योजना है? महाराष्ट्र में एक दिन में औसतन सात किसान अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। दिल दहला देने वाला यह आंकड़ा किसी और की तरफ़ से नहीं बल्कि राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री की ओर से आया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 2,366 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई। कारण स्पष्ट हैं: पिछले साल 60 प्रतिशत ज़िलों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार से कोई मदद नहीं मिली।

पिछले साल 60 फ़ीसदी ज़िलों में सूखे की स्थिति थी लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली। जब राज्य के आधे से ज़्यादा हिस्से में बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद हो गईं, तो किसानों को क़र्ज़ माफी की सुविधा दी गई, लेकिन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण 6.56 लाख किसान इस राहत से वंचित रह गए। इस तरह की उदासीनता और लापरवाही के सामने कांग्रेस लगातार स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार एमएसपी, क़र्ज़ माफ़ी के लिए एक स्थायी ऋण आयोग की स्थापना का और 30 दिनों के भीतर सभी फ़सल बीमा क्लेम्स के निपटान की गारंटी की गारंटी की बात करती रही है। महाराष्ट्र में भी हमने ‘कृषि समृद्धि’ की गारंटी दी है। इसके तहत किसानों के 3 लाख रुपए तक के क़र्ज़ माफ़ किए जाएंगे और नियमित ऋण भुगतान करने पर 50 हज़ार रुपए का प्रोत्साहन दिया जाएगा। महाराष्ट्र और भारत के किसानों की बेहतरी के लिए भाजपा के पास क्या विज़न क्या है?

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