मंडी बोर्ड का बेड़ागर्क करने की सुपारी ले रखी है प्रबंध संचालक और अधीक्षण अभियंता ने

0 शुरू कर दी है एकजाई ठेका देने की अजीब प्रथा
रायपुर। छत्तीसगढ़ मंडी बोर्ड को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया गया है। मंडी बोर्ड में तुगलकी प्रथा चलाई जा रही है। बोर्ड के दो शीर्ष अधिकारी जहां शासन की छवि धूमिल कर रहे हैं, शासन की मंशा पर पानी फेर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर छोटे ठेकेदारों और बेरोजगार युवाओं से रोजगार के अवसर छीनने का काम भी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ मंडी बोर्ड वैसे भी संविदा पर चल रहा। रिटायर हो चुके एक अधिकारी को संविदा नियुक्ति देकर मंडी बोर्ड का एमडी बना दिया गया है। ये एमडी साहब अधीक्षण अभियंता के साथ मिलकर ऐसे ऐसे फैसले ले रहे कि मंडी बोर्ड का लगातार बेड़ागर्क होता चला जा रहा है। राज्य में दर्जनों अनुभवी अधिकारियों के रहते हुए भी एक सेवनिवृत्त अधिकारी को संविदा नियुक्ति देकर मंडी बोर्ड का एमडी बनाए जाने पर शुरू से सवाल उठते रहे हैं। सोशल मीडियम में तो इस संविदा नियुक्ति को राज्य के आदिवासी अधिकारियों के अधिकारों का हनन तक करार दे दिया गया है। दूसरी अहम बात मंडी बोर्ड से जुड़े निर्माण कार्यों के ठेकों को लेकर सामने आई है। संविदा वाले एमडी और एसई ऐसा खेल खेल रहे हैं कि इसका मिसाल और किसी विभाग में देखने सुनने को नहीं मिला है। बताते हैं कि ये दोनों अधिकारी जिसके छोटे छोटे कार्यों को एकजाई एक न ही निविदा निकालने की नई प्रथा चलाने लगे हैं। 20-30 लाख की लागत वाले तीन चार कार्यों को एकमुश्त कर एक निविदा निकाले जाने से सैकड़ों छोटे ठेकेदारों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। डी से लेकर सी कैटेगरी वाले ठेकेदार इसके चलते टेंडर नहीं डाल पा रहे हैं। वहीं केंद्र व राज्य सरकार ने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को छोटे छोटे निर्माण कार्यों के ठेके लेने के लिए प्रोत्साहित करते हुए योजना भी चला रखी है। ऐसे युवा भी मंडी बोर्ड के कार्यों के टेंडर नहीं भर पा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि एमडी और एससी ने बड़े ठेकेदारों से सांठगांठ करके यह प्रथा शुरू की है। पहले जब हर निर्माण कार्य के अलग अलग टेंडर कॉल किए जाते थे तब छोटे ठेकेदार बड़ी संख्या में टेंडर में हिस्सा लेते थे। ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा होती थी और मंडी बोर्ड का अच्छा लाभ मिलता था। अब छोटे ठेकेदार बोर्ड एमडी और एससी इस रवैए से परेशान हैं। अब बड़े ठेकेदार मनमाने ढंग से रेट डालकर काम लेने लगे हैं। इससे मंडी बोर्ड और राज्य शासन को बड़ी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। राज्य सरकार की फजीहत हो रही है सो अलग।

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