ये हाल है बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवा का, टॉर्च की रौशनी में कराना पड़ता है यहां प्रसव!

0  भोपालपटनम सीएचसी में मोबाईल टार्च के बूते प्रसव 
0  दो साल से नकारा पड़े हैं स्वास्थ्य केंद्र के दो जनरेटर 
0 नए जनरेटर को शुरू करने विभाग के पास समय नहीं 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग के जिला मुख्यालयों को छोड़कर शेष सभी सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का बड़ा बुरा हाल है। कहीं डॉक्टर नहीं हैं, तो कहीं जनरेटर बंद पड़े हैं, तो कहीं स्टॉफ की कमी बनी हुई है। ऎसी ही दुर्दशा बीजापुर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोपालपटनम की भी हो चली है। वहां हालत बद से बदतर होती जा रही है। आलम यह है कि बिजली गुल हो जाने पर मोबइल फोन के टॉर्च की रौशनी में प्रसव कराना पड़ रहा है। वैसे भी बस्तर संभाग में बिजली आपूर्ति की स्थिति जग जाहिर है।
बस्तर संभाग का बीजापुर जिला सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिला है और इस जिले का भोपालपटनम अनुभाग तो और भी ज्यादा संवेदनशील है। इस अनुभाग में आएदिन नक्सली वारदातें होती रहती हैं। इन वारदातों में घायल होने वाले लोगों के शुरूआती उपचार के लिए एकमात्र बड़ा अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भोपालपटनम ही है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण अस्पताल में बिजली का समुचित इंतजाम न होना सिस्टम की नाकामी को ही उजागर करता है। इस स्वास्थ्य केंद्र में बिजली है और दो जनरेटर भी हैं। वहां अक्सर बिजली गुल होने की समस्या बनी रहती है। बिजली गुल हो जाने पर अस्पताल में उपचार मोबाईल टार्च के जरिए किया जाता हैं। यह मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं तो, और क्या है? डिलवरी के इमरजेंसी केस आ जाने पर अस्पताल के लेबर रूम में स्टॉफ नर्स मोबाईल टॉर्च की रौशनी में प्रसव करवाने विवश हो जाती हैं। अस्पताल में दो बड़े जनरेटर उपलब्ध कराए गए हैं, मगर दोनों जनरेटर लगभग दो साल से खराब पड़े हैं‌। सौर पैनल भी अस्पताल में तो लगाया गया है, लेकिन वह भी खराब रहता है। अस्पताल में बिजली बाधित होने के बाद परेशानी की स्थिति निर्मित हो जाती है। कभी-कभी तो पूरी रात बिजली गुल रहती है। ऐसा में जब मरीजों का इलाज और प्रसव का समय आता है, तो स्वास्थ्य कर्मियों को अपने मोबाइल टार्च या मोमबत्ती की रौशनी का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन यह नियुक्त बीएमओ और विभाग के उच्च अधिकारी इस मामले में जरा भी गंभीर नही हैं‌। इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं और ग्रामीणों के उपचार पर पड़ रहा है। भोपालपटनम के इतने बड़े इलाके में इकलौते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में यह हालत हैं, तो अंदरूनी गांवों में स्वास्थ्य सेवा का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। जब से भोपालपटनम में नए बीएमओ नियुक्त हुए हैं। तब से आए दिन कुछ न कुछ बड़ी लापरवाही कि खबरे निकलकर सामने आती रहती हैं। कोई अगर अव्यवस्था के बारे में सलाह दे तो उस पर डाक्टर साहब भड़क उठते हैं।

वैक्सीन हो रही है खराब

बिजली चली जाने के बाद अस्पताल में पूरी तरह अंधेरा घंटों छाया रहता है। अस्पताल के फ्रीजर में रखी टिटनेस, बच्चों को लगने वाली वैक्सीन भी खराब हो जाती हैं। वैक्सीन को शून्य से भी नीचे तापमान वाले फ्रिज में रखना जरूरी होता है। जब बिजली के बिना फ्रिजर ही बंद पड़े हों तो वैक्सीन भला कैसे सुरक्षित रह पाएगी? बता दें कि भोपालपटनम में बिजली कि सबसे ज्यादा परेशानी है। आएदिन बिजली घंटो नही रहती है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही वजह से कई काम पिछड़ते जा रहे हैं। विभागीय लापरवाही से दो जनरेटर दो साल से ख़राब पड़े हैं‌। नया जनरेटर दिया गया है, जिसके इंस्टालेशन की फुर्सत किसी के पास नहीं है। अस्पताल में पहले से दो जनरेटर लगे हुए हैं। दोनों लगभग दो साल से ख़राब हैं। सौर ऊर्जा चलित बिजली भी बंद पड़ी है। कलेक्टर द्वारा 28 जून को भोपालपटनम में लाईट की अनियमित व्यवस्था व समस्या को देखते हुए तत्काल नए महेंद्रा जनरेटर भेजव दिया गया। लेकिन उसे इंस्टॉल करने के लिए बीएमओ द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। लगभग एक महीने से नया जनरेटर को भी खुले आसमान तले रखा हुआ है। भोपालपटनम के बीएमओ अपने कर्तव्य से पीछे भाग रहे हैं। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है।

वर्सन
सीएमएचओ को है खबर
नए जनरेटर को इंस्टॉल करने सीएमएचओ को सूचना दे चुका हूं। इन्वर्टर भी वायरिंग कि वजह से खराब है। इससे ज्यादा जानकारी के लिए सीएमएचओ से बात कर लें।
-डॉ. चलपति राव,
बीएमओ, भोपालपाटनम

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