0 संरचनाओं के निर्माण से 20 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि होगी उपचारित
0 वनांचल में स्टॉप डेम, एनिकट, चेकडेम, तालाब, डबरी, परकोलेशन टैंक तथा अर्दन डेम आदि संरचनाओं का प्राथमिकता से निर्माण
0 नरवा विकास के तहत कैम्पा मद में स्वीकृत कार्यों का निर्माण तीव्र गति से जारी
0 वर्ष 2019-20 के समस्त कार्य पूर्णता की ओर
रायपुर। राज्य सरकार द्वारा सुराजी गांव योजना के तहत चलाए जा रहे महत्वपूर्ण ‘‘नरवा विकास कार्यक्रम’’ के अंतर्गत कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2019-20, 2020-21 तथा 2021-22 में विभिन्न वनमंडलों के 4 हजार 855 छोटे-बड़े नालों में काफी तादाद में भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत गत तीन वर्षों में प्रमुख रूप से 265 नग स्टॉप डेम, 61 नग एनीकट, 349 नग चेकडेम, 864 नग तालाब तथा डबरी, 1 हजार 488 नग परकोलेशन टैंक, 403 नग डाईक और 652 नग अर्दन डेम का निर्माण कार्य स्वीकृत है। कैम्पा मद से स्वीकृत इन भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण तीव्र गति से जारी है। इनमें से अब तक 135 नग स्टॉप डेम, 24 नग एनीकट, 129 नग चेकडेम, 292 नग तालाब तथा डबरी 517 नग परकोलेशन टैंक, 177 नग डाईक और 324 नग अर्दन डेम का निर्माण पूर्ण हो चुका है। इनके निर्माण से वनांचल के 20 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि उपचारित होगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य के वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण तथा संवर्धन के लिए बड़े तादाद में जल स्रोतों, नदी-नालों और तालाबों को पुनर्जीवित करने का कार्य लिया गया है। इसके लिए वन मंत्री श्री अकबर ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य प्रतिकरात्मक वनरोपण, निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) मद से बनने वाली इन जल संग्रहण संरचनाओं से वनांचल में रहने वाले लोगों और वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। साथ ही नाले में पानी का भराव रहने से आस-पास की भूमि में नमी बनी रहेगी। इससे खेती-किसानी में सुविधा के साथ-साथ आय के स्रोत और हरियाली में भी वृद्धि होगी।
इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि इनमें नरवा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2019-20 में 160 करोड़ रूपए से अधिक की राशि की स्वीकृति दी गई है। इसमें 01 हजार 829 किलोमीटर लंबाई वाले 863 छोटे-बड़े नालों के 4.84 लाख हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्र में 12 लाख 24 हजार भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह नरवा विकास योजना के तहत कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2020-21 के पार्ट-1 तथा पार्ट-2 में 388 करोड़ रूपए से अधिक की राशि की स्वीकृति दी गई है। इसमें 03 हजार 263 किलोमीटर लंबाई वाले 2030 छोटे-बड़े नालों के 5.86 लाख हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्र में 44 लाख 34 हजार भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इनके निर्माण से वनांचल के लगभग 05 लाख 86 हजार हेक्टेयर भूमि उपचारित होगी।
राज्य में कैम्पा के अंतर्गत वर्ष 2020-21 पार्ट-1 के तहत 1 हजार 92 छोटे-बड़े नालों में 20 लाख 76 हजार 484 भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं के निर्माण के लिए लगभग 210 करोड़ रूपए की राशि की स्वीकृति दी गई है। इनमें से अब तक 139 करोड़ रूपए की राशि व्यय कर 18 लाख 60 हजार संरचनाओं का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। इनके निर्माण से वनांचल के 03 लाख 60 हजार 777 हेक्टेयर भूमि उपचारित होगी। इसी तरह वर्ष 2020-21 पार्ट-2 के तहत 938 छोटे-बड़े नालों में 23 लाख 58 हजार 273 भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं के निर्माण के लिए लगभग 178 करोड़ रूपए की राशि की स्वीकृति दी गई है। इनमें से अब तक 45 करोड़ रूपए की राशि व्यय कर 10 लाख 41 हजार संरचनाओं का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। इनके निर्माण से वनांचल के 02 लाख 24 हजार 838 हेक्टेयर भूमि उपचारित होगी।
इसी तरह नरवा विकास कार्यक्रम अंतर्गत कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में 392 करोड़ रूपए से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है। इसमें 01 हजार 962 नालों के 8.17 लाख हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्र में लगभग 38 लाख भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है। कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 के अंतर्गत गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान सरगुजा के 50 नालों में 96 हजार 850 तथा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जगदलपुर के 7 नालों में 13 हजार 559 संरचनाओं का निर्माण किया किया जा रहा है। इसी तरह इन्द्रावती टायगर रिजर्व बीजापुर के 93 नालों में एक लाख 80 हजार 847 तथा अचानक मार्ग टायगर रिजर्व लोरमी के 52 नालों में एक लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा एलीफेंट रिजर्व सरगुजा के 64 नालों में एक लाख 23 हजार 580 तथा अनुसंधान एवं विस्तार जगदलपुर के अंतर्गत 33 नालों में 63 हजार से अधिक संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है।