रायपुर। छोटी कक्षाओं को पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं को अध्यापन के साथ बच्चों के लालन पालन पोषण से संबंधित व्यवहारिक शिक्षा का ज्ञान होना भी अनिवार्य है। अपना घर परिवार छोड़कर पहली बार स्कूल की दहलीज पर कदम रखने वाले मासूम बच्चों के लिए स्कूल दूसरा घर होता है। इस को ध्यान में रखते हुए बहुत ही संवेदनशीलता और ममत्व की भावना से ओतप्रोत होकर इन बच्चों को शिक्षित किए जाने की जरूरत है।
नर्सरी कक्षाओं को पढ़ाने वाली 120 टीचर्स का प्रशिक्षण इन दिनों सरस्वती शिशु मंदिर माना कैंप में चल रहा है। जिसका समापन 23 मई को होगा। इसके उद्घाटन अवसर पर श्री बद्रीनाथ केशरवानी , माना कैंप के नगर पालिका अध्यक्ष श्री संजय यादव , सुश्री अंजली महादेवकर , व्यवस्थापक श्री बाबुल शाह , वर्ग संयोजक श्री गौरीशंकर कटकवार , अधिकारी श्री रामकुमार वर्मा , उर्मिला कश्यप एवं नरेश यादव विशेष रूप से उपस्थित थे।
शिक्षिकाओं को प्रेरित करते हुए विद्या भारती मध्य क्षेत्र के कोषाध्यक्ष जितेंद्र परिहार ने शिशु वाटिका की अवधारणा के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उनसे अपने स्कूलों में पढ़ने वाले शिशु वर्ग के बच्चों से अधिक से अधिक लगाव के साथ एक शिक्षिका और माता के रूप में जुड़ने का आग्रह किया। वर्ग में सुबह 5 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक रोजाना अनुशासनबद्ध समय सारणी का पालन करते हुए शारीरिक शिक्षा योगाभ्यास बौद्धिक शैक्षणिक का प्रशिक्षण 15 ट्रेनर्स दे रहे हैं। नगर के प्रतिष्ठित लोगों को आमंत्रित करके हर सुबह अग्निहोत्र का कार्यक्रम किया जाता है। इसके बाद संवाद सूत्र विचार-विमर्श सत्र अभ्यास सत्र आईसीटी बेस्ड टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग शिशु वाटिका एवं व्यवहार घर पर ही विद्यालय दैनिक उपासना शिशु गीत शिशु कहानी कथानक नाटक मंचन कौशल विकास व्यक्तित्व विकास भारतीय शिक्षा और संस्कृति पर आधारित शिशु वाटिका और फुलवारी को विकसित करना जैसे विभिन्न विषयों पर आधारित प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञों के द्वारा दिए जा रहे हैं। सरस्वती शिक्षा संस्थान के संगठन मंत्री डॉ देवनारायण साहू और सचिव श्री विवेक सक्सेना ने इस प्रशिक्षण का दौरा कर चल रहे कार्यक्रम का जायजा भी लिया। यह जानकारी सरस्वती शिक्षा संस्थान के संवाद विभाग अधिकारी संस्कार श्रीवास्तव ने दी है।