नगरनार को बिकने से बचाने संसद में आवाज उठा चुके हैं दीपक बैज

0 अब की बार बस्तर का संघर्ष आर पार

(अर्जुन झा)

जगदलपुर। नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन के अधिपत्य वाले नगरनार स्टील प्लांट को बिकने से बचाने के लिए बस्तर इस बार आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है। इसके पहले बस्तर सांसद दीपक बैज लोकसभा में नगरनार को बचाने के लिए आवाज उठा चुके हैं। मौजूदा स्थिति यह है कि नगरनार संयंत्र को खुली बोली लगाकर बेचने की तैयारी करीब करीब पूरी हो चुकी है। केंद्र सरकार के निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने निविदा जमा करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी 2023 मुकर्रर की है। विघटन के बाद एनएसएल (नगरनार स्टील) के शेयर बीएसई, एनएसई और कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो जाएंगे। स्टील प्लांट के डीमर्जर के खिलाफ मजदूरों का आंदोलन लगातार चल रहा है। मजदूरों का कहना है कि भूमि प्रभावितों ने एनएमडीसी को प्लांट लगाने के लिए जमीन दी थी लेकिन अब नगरनार प्लांट निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। निजीकरण के बाद उनकी नौकरी पर भी खतरा मंडराना तय है।

गौरतलब है कि 2 साल पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक शासकीय संकल्प पारित किया गया था। इसमें विपक्ष के सुझाए गए संशोधनों के बाद सरकार ने सर्वसम्मति से कहा था कि यदि निजीकरण किया गया तो राज्य सरकार इसे खुद खरीदेगी और संचालित करेगी। बस्तर के लोगों की भावनाएं भी करीब 24 हजार करोड़ रुपए के इस विशाल संयंत्र से जुड़ी हुई हैं। बस्तर सांसद दीपक बैज यह मामला लोकसभा में उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि क्षेत्र में पेसा कानून 1996 लागू है। नियमों की अनदेखी कर नगरनार प्लांट का निजीकरण व्यवहारिक नहीं है। केंद्र के फैसले से बस्तर की जनता आंदोलित है और प्लांट में नौकरी का सपना टूटते देख नौजवान गुस्से में हैं।

यहां 6 जनवरी को सर्व आदिवासी समाज ने इस मुद्दे पर और इससे जुड़े कुछ अन्य मुद्दों पर बंद का आह्वान किया है। चेंबर ऑफ कॉमर्स सहित तमाम संगठनों का इस बंद को समर्थन मिल रहा है।

बस्तर में नाराजगी और आक्रोश का विषय यह है कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित प्रस्ताव और लोकसभा में बस्तर सांसद दीपक बैज द्वारा उठाए गए सवालों को दरकिनार करते हुए निजीकरण के फैसले में कोई बदलाव नहीं किया। यह जानकारी भी मिली है कि केंद्र सरकार ने जो निविदा शर्तें तय की हैं, उसके अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार को टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर ही नहीं मिल पाएगा। नगरनार की संभावित बोली में ऐसी बंदिश क्यों लगाई गई है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन इस प्लांट को खरीदने की क्षमता कौन रखता है, इसका अनुमान जरूर लगाया जा सकता है।

नगरनार संयंत्र को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे बस्तर सांसद दीपक बैज का कहना है कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ और खास तौर पर बस्तर के साथ अन्याय कर रही है। हमारी छत्तीसगढ़ सरकार ने, हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरनार स्टील प्लांट को बचाने के लिए हर तरह से प्रयास किया है। हमने भी बस्तर की आवाज संसद में सारे तथ्यों के साथ उठाई किंतु नगरनार को निजी हाथों में सौंपने के लिए बेताब केंद्र सरकार ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। हम बस्तर के हित में संघर्ष कर रहे हैं और नगरनार को बचाने के लिए कोई भी कदम उठाने में पीछे नहीं रहेंगे। बस्तर की जनता नगरनार को बिकने से रोकने के लिए संघर्ष करने तैयार है।

 

फाइल फोटो- वीडियो

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