0 शालेय शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित ढांचागत व्यवस्था को बस्तर जिले में दिखाया गया ठेंगा
0 किसी स्कूल में जरूरत से ज्यादा, तो किसी में एक या दो ही शिक्षक
0 पदस्थापना में विषयवार तैनाती और पात्रता का नहीं रखा गया ध्यान
(अर्जुन झा)
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की पदस्थापना को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने जो सेटअप तैयार किया है, उसे भी बस्तर जिले में ठेंगा दिखाते हुए मनमाफिक पदस्थापनाएं कर दी गई हैं. आखिर किस चक्कर में तयशुदा सेटअप से ऐसा खिलवाड़ किया गया है? स्वार्थ की पूर्ति के वशीभूत होकर जिला शिक्षा कार्यालय ने शालाओं की जरूरतों को भी पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया. अब इसका खामियाजा बेचारे विद्यार्थी भुगत रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में पर्याप्त शालाएं खोल दी हैं. प्रायः सभी विषयों के शिक्षक – शिक्षिकाओं की नियुक्ति भी उसी अनुपात में की जा चुकी है तथा अभी भी नए शिक्षकों की भर्ती का दौर चल ही रहा है. इसके बावजूद राज्य की शालाओं में शिक्षा की गुणवत्ता में उम्मीद के हिसाब से सुधार नजर नहीं आ रहा. दीगर राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में शैक्षणिक गुणवत्ता कमतर है. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए छ्ग शासन ने प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की तैनाती के लिए सेटअप तैयार कर उसी के अनुरूप सभी शालाओं में शिक्षक – शिक्षिकाओं को पदस्थ करने की हिदायत सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दी है. राज्य के संचालक लोक शिक्षण ने विस्तृत ब्यौरे के साथ सेटअप के लिए दिशा निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किए हैं. सेटअप के मुताबिक प्राथमिक शालाओं के लिए एक प्रधान पाठक और कम से कम दो शिक्षकों के पद तथा मिडिल स्कूलों के लिए एक प्रधान पाठक और चार शिक्षकों के पद स्वीकृत किए गए हैं. पदों की स्वीकृति विषयवार दी गई है. जिन शालाओं में दर्ज संख्या ज्यादा है वहां विषयवार अधिक शिक्षकों को पदस्थ करने का भी प्रावधान किया गया है. सेटअप में 50 – 50 प्रतिशत पद कला और विज्ञान विषय के शिक्षकों के लिए तय किए गए हैं. अधिकतर शालाओं में संकायवार शिक्षक नहीं हैं, इसे देखते हुए युक्तियुक्तकरण की नीति अपनाकर जरूरत के हिसाब से विषय विशेष के शिक्षकों की पदस्थापना करने की व्यवस्था दी गई है. युक्तियुक्तकरण के लिए विकास खंड एवं नगरीय निकायों को अलग अलग इकाई माना गया है. युक्तियुक्तकरण नियमित शिक्षकों तथा पंचायत व नगरीय निकाय संवर्ग के ही शिक्षकों का प्रस्तावित है. इसमें भी नगरीय निकाय संवर्ग के शिक्षकों का उसी निकाय में तथा नियमित और पंचायत संवर्ग के शिक्षकों को विकासखंड की ही शालाओं में युक्तियुक्तकरण का प्रावधान है. संचालक लोक शिक्षण ने साफ तौर पर हिदायत दे रखी है कि किसी भी शाला में सेटअप से ज्यादा शिक्षक कार्यरत हैं, तो ऐसे शिक्षक अतिशेष माने जाएंगे और अतिशेष शिक्षकों का ही युक्तियुक्तकरण किया जा सकेगा. इसके लिए विकास खंड और जिला स्तर पर अलग अलग समितियां बनाई गई हैं. विकासखंड स्तरीय समितियां अतिशेष शिक्षकों और सेटअप से कम या ज्यादा शिक्षकों वाली तथा विषय शिक्षक की अनुपलब्धता वाली शालाओं की सूची तैयार कर सूची का प्रसारण करेंगी. संबंधित शिक्षकों से दवा आपत्ति मंगाकर उनका निराकरण करने के बाद ही अंतिम सूचियां जिला स्तरीय समिति को भेजी जाएंगी. जिला समिति के अनुमोदन तथा जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद ही शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा सकेगा.
बस्तर जिले में सेटअप के अनुसार शिक्षकों को पदस्थ न कर मनचाहे ढंग से पोस्टिंग कर दी गई है. इसकी वजह से कई शालाओं में अब जरूरत से ज्यादा शिक्षक हो गए हैं, तो कई स्कूलों में विषय के अनुरूप शिक्षक पदस्थ ही नहीं किए गए हैं. वहीं अनेक शालाएं या तो शिक्षक विहीन हो गई हैं, या फिर वहां सेटअप के लिहाज से कम शिक्षक रह गए हैं.
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा…
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा वाली कहावत बस्तर जिला शिक्षा विभाग पर पूरी तरह फिट बैठ रही है. संचालक लोक शिक्षण ने सेटअप और युक्तियुक्तकरण के लिए जो दिशा निर्देश जारी किए हैं, उसमें साफ कहा गया है कि शिक्षा विभाग, आदिम जाति विकास विभाग, पंचायत व नगरीय निकाय संवर्ग के शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण उनके मूल विभागों की ही शालाओं में तथा नगरीय निकाय के शिक्षकों को संबंधित नगरीय निकाय में ही पदस्थ किया जाए. जिला शिक्षा विभाग ने संचालक के फरमान को भी ठेंगा दिखाने से गुरेज नहीं किया है. आदिम जाति विकास विभाग के कई शिक्षकों को शिक्षा विभाग की शालाओं में तथा शिक्षा विभाग के अनेक शिक्षकों को आदिम जाति विकास विभाग की शालाओं में भेज दिया गया है. नगरीय निकाय संवर्ग के भी अनगिनत शिक्षकों को उनके मूल नगरीय निकायों से हटाकर दूसरे निकायों की शालाओं में तैनात कर दिया गया है. वहीं ब्लॉक कैडर के शिक्षकों की पोस्टिंग उनके मूल ब्लॉक के बजाय दीगर ब्लॉक में करने का फैसला जिला कलेक्टर ही ले सकते हैं. जिला शिक्षा कार्यालय ने इन सारे कायदों की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं. अतिशेष घोषित शिक्षक शिक्षिकाओं में से निःशक्त, महिला तथा पति – पत्नी को निकटतम शालाओं में पदस्थ न कर दूर दराज की शालाओं में तैनात कर दिया गया है।