कोल संकट के चलते बीएसपी में उत्पादन बंद होना मोदी सरकार की नाकामी – धनंजय सिंह

0 मोदी सरकार का कोल किंग अडानी से प्रेम नवरत्न सरकारी कम्पनियों को पड़ रहा भारी

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार के कुप्रबंधन के कारण देश में अभूतपूर्व कोयला संकट उत्पन्न हो गया है। मोदी सरकार देश की नौरत्न सरकारी कंपनियो को भी कोयला नहीं दे पा रही है। भिलाई इस्पात संयंत्र जैसे संस्थान में भी कोयला संकट के कारण प्रोडक्शन ठप हो गया। पूरे देश में कोयला का किल्लत है। देश में कोयला संकट के चलते निजी क्षेत्र 6000 से अधिक उद्योग पहले ही बंद है। केन्द्र सरकार मौजूदा कोल संकट के लिये देश की जनता के सामने स्वेत पत्र जारी करें।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि देश में कोयला का संकट है तो उसके पीछे मोदी सरकार की अदूरदर्शिता है। ऐसा कोई कारण नहीं है जिसके चलते देश में कोयला का कमी हो विश्व के कोयला उत्पादक देशों की श्रेणी में भारत पांचवे नंबर पर है जिसके पास लगभग 319 अरब टन कोयला का भंडार है। उसके बावजूद देश के भीतर कोयला का संकट उत्पन्न होना मोदी सरकार की अकर्मण्यता का परिणाम है देश की कोयला जरूरतों का पूरा ब्योरा केंद्र सरकार के पास है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कोयले से बिजली बनती है यह कोई नई बात नहीं है, फिर इसकी तैयारी क्यों नहीं की गयी थी? उसके बावजूद केंद्र ने राज्यों और विद्युत संयंत्रों की आवश्यकता के अनुरूप कोल खनन और भंडारण और परिवहन की समुचित कार्य योजना क्यों नहीं बनाया था? देश में ऐसा कोयला संकट आजादी के बाद कभी नहीं आया। अचानक इस प्रकार का संकट कृत्रिम रूप से तैयार तो नहीं किया जा रहा? आज देश में कोयले के सबसे बड़े कारोबारी मोदी के निकटस्थ अडानी समूह है। कहीं ऐसा तो नहीं कोयला संकट का बहाना बना कर देश भर की कोयला खदानों को अडानी को देने की साजिश तो नहीं की जा रही।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि विदेश में कोयला की कीमत 15हजार रु से 20 हजार रु प्रति टन है और भारत में कोयला की कीमत 3हजार से 4 हजार रु प्रति टन है जिसके चलते भारत की कोयला की मांग विदेशों में बढ़ी है। और देश में कोयला का सबसे बड़ा सप्लायर मोदी के मित्र हैं जो विदेशों तक कोयला पहुंचाते हैं और मोदी अपने मित्रों के मुनाफाखोरी को बढ़ावा देने फायदा पहुंचाने के लिए प्रदेश के कोयला को बेरोकटोक बाहर पहुंचा रहे हैं और प्रदेश के उद्योग कोयला संकट से जूझ रहा है।

 

 

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