सदगुरुदेव षण्मुखानंद पुरी जी महाराज ने लिया 1008 दिनों के क्षेत्र सन्यास का नव संकल्प…

0 उत्तर प्रदेश स्थित नैमिषारण्य धाम में श्री राजराजेश्वरी मंदिर, स्कंदाश्रम में क्षेत्र साधना आरंभ

करेली। सदगुरुदेव स्वामी षणमुखानंद पुरी महाराज हीरापुर वालों द्वारा निरंतर तप साधना के क्रम में मैया की प्रेरणा से पुन: 1008 दिवसीय क्षेत्र संन्यास का संकल्प लिया गया है। साधक जीवन के इस विराट संकल्प की घोषणा स्वामी ने नैमिषारण्य धाम में 7 अप्रैल 2024 को आयोजित महोत्सव में भक्त परिवार की समुपस्थिति में की। जिसमें स्वामीजी अब 1008 दिवस नैमिषारण्य तीर्थ स्थित नूतन देवालय श्री राजराजेश्वरी मंदिर, स्कंदाश्रम परिसर में ही क्षेत्र साधनारत रहेंगे व 1008 दिवस परिसर से बाहर नहीं जाएंगे।
7 वर्ष तक कर चुके हैं नर्मदा नदी में नाव में रहकर साधना
संत समाज में पूजनीय स्वामी जी का जीवन कठिन तप साधना के लिए सदैव चर्चाओं में रहा है। उन्होंने अपने जीवन का पांच दशक से अधिक समय साधना क्रम को ही समर्पित किया है। वर्ष 1989 से 2005 तक मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में नर्मदा तट स्थित तपोभूमि हीरापुर धाम में उन्होंने विराट तप 16 वर्षीय क्षेत्र सन्यास किया और 16 वर्ष तक मंदिर परिसर, नर्मदा तट से बाहर नहीं गए। वह भारतभूमि के ऐसे विरले संत हैं, जिन्होंने वर्ष 2007 से 2014 तक निरंतर 7 वर्ष तक नर्मदा नदी पर नाव में रहकर तप साधना की। श्री राजराजेश्वरी मंदिर आश्रम बेंगलुरु कर्नाटक में अपने गुरु पूज्य स्वामी श्री शिवरत्न पुरी महाराज के सानिध्य में शिक्षा दीक्षा पूर्ण कर, संस्कृत शिक्षा एवं अंग्रेजी माध्यम से ग्रेजुएशन पूर्ण कर श्री स्वामीजी का गुरु आज्ञा से वर्ष 1979 में हीरापुर ग्राम के समीप नर्मदा तट, सिंदूर.नर्मदा के सिद्धावती संगम में नर्मदा परिक्रमा के पश्चात् सिद्धों से साक्षात्कार के उपरांत प्रथम हीरापुर पदार्पण हुआ। तदंतर विगत लगभग 45 वर्षों से प्रतिदिन श्री चक्रनवावरण अर्चन, श्री विद्या उपासना पूजन के रूप में कठिन साधना कर रहे सदगुरुदेव श्री स्वामी जी महाराज का संपूर्ण जीवन साधना क्रम को ही समर्पित रहा है। उन्होंने दो बार तीन वर्ष, तीन माह, तेरह दिन की संपूर्ण विधि विधान से अनुष्ठानिक नर्मदा परिक्रमा नंगे पैर पैदल चलकर पूर्ण की है। इसके साथ साथ अनेकों बार वाहनों से भी नर्मदा परिक्रमा संपन्न की है। संत समाज ने उन्हें अनेक अवसरों पर नर्मदा पुत्र के रूप में भी उद्घोषित किया है।
दो विराट लक्ष चंडी यज्ञ
पूज्य स्वामी जी कहते हैं कि इच्छाशक्ति प्रबल हो तो कार्य सिद्ध होते हैं। उन्होंने अपने याज्ञिक जीवन साधना के क्रम में अनेक विराट अनुष्ठान सहज रूप में आयोजित किए हैं। हीरापुर धाम में वर्ष 1998 एवं वर्ष 2014 में 2 बार लक्ष चंडी यज्ञ जैसे सफल व विराट अनुष्ठान श्री स्वामी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के प्रमाण हैं। हीरापुर धाम में विगत 35 वर्षों से उनके द्वारा श्री राजराजेश्वरी यज्ञ का आयोजन प्रतिवर्ष किया जा रहा है। श्री स्वामी जी के संयोजकत्व में विभिन्न स्थानों पर सहस्त्र चंडी यज्ञ, श्रीमद् भागवत कथाएं,श्री राम कथाएं,श्री शिव पुराण, श्री नर्मदा पुराण,कन्या पूजन जैसे विभिन्न अनुष्ठान निरंतर धर्म अध्यात्म प्रवाहना कर रहे हैं।
विविध देवालय, आश्रमों का निर्माण स्वामी के संकल्प क्रम में राजराजेश्वरी मंदिर कैलाश कुटी आश्रम हीरापुर धाम सहित पावन तीर्थ नैमिषारण्य में विराट राजराजेश्वरी मंदिर एवं स्कंदाश्रम, ओंकारेश्वर धाम में निर्माणाधीन विशाल सात मंजिला रेवा सदन एवं आश्रम,उज्जैनए सेमलदा, चांदगढ़ कुटी, मंडला में मंदिर व आश्रम, खिरेटी में माता वाराही देवी का दिव्य मंदिर स्थित है। इन सभी स्थानों के अतिरिक्त देशभर के राजराजेश्वरी भक्त मंडल के भक्तगण, शिष्य परिवार के हजारों हजार समर्पित सदस्य सदगुरुदेव श्री स्वामी जी महाराज के श्री चरणों की सेवा में समर्पित हैं व कृपापात्र हैं।

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