0 जिले का सबसे बड़े सामूहिक जवारा उत्सव में सहभागिता देने पहुंचते हैं हजारों भक्त
0 सदर मंदिर में जाते हुए श्रद्धालु और सायं आरती के समय भीड़
नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय के कं देली क्षेत्र में स्थित सदर मढिय़ा का इतिहास एक सदी से भी पुराना है।कंदेली नजूल क्षेत्र के प्लाट नंबर 19 के करीब 23129 वर्ग फीट जगह में फैले सदर मढिय़ा परिसर में सबसे पहले एक चबूतरे पर मां काली की स्थापना मद्रासी पलटन द्वारा की गई थी। जिसका उल्लेखनीय 1896के डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में भी मिलता है। यह कहना है कि सदर मढिय़ा की संचालिका समिति श्री जय अंबे ट्रस्ट के सचिव,प्रबंध न्यासी कालूराम नेमा का। कालूराम नेमा ने चर्चा में सदर मढिय़ा के इतिहास और स्थापना को लेकर बताया कि यह मंदिर करीब 128 साल पुराना हो चुका है। पूर्व काल में यहां पर मद्रासी पलटन द्वारा बनवाए गए एक छोटे से चबूतरे पर बने तिकोनी मढिय़ा में मां की प्रतिमा स्थापित थी। मंदिर के महत्व को लेकर वे बताते हैं कि 1949 में जब नरसिंहपुर में प्लेग नाम की महामारी का प्रकोप हुआ था। तब शहर के लोगों ने मातारानी की शरण ली थी। यहां माता के आशीर्वाद से लोगों को इस महामारी से काफी राहत मिली थी। तब से लेकर आज तक यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं और भक्तों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। वे बताते हैं कि 1973 से पहले मंदिर परिसर की जमीन सरकारी थी। 1973 में प्रशासन ने इस मंदिर के संचालन के लिए श्री जयअंबे ट्रस्ट का गठन किया था जिसमें कुल 12 सदस्य शामिल हैं। इसके साथ ही परिसर की जमीन को ट्रस्ट के नाम पर हस्तांतरित कर दिया। इस ट्रस्ट ने कालांतर में छोटी सी मढिय़ा को विस्तार देते हुए वर्तमान में यहां भव्य मंदिर का निर्माण करा दिया है। यहां नवनिर्मित मंदिर में महाकाली,सिंहवाहिना और महिषमर्दिनी माता की भव्य प्रतिमाएं जयपुर से मंगवा कर स्थापित की गई हैं।
751 सामूहिक जवारा घट कलश की स्थापना
सदर मढिय़ा परिसर में प्रतिवर्ष सामूहिक जवारा समिति द्वारा चैत्र नवरात्र के अवसर पर जवारा घट कलश की स्थापना की जाती है। इस वर्ष भी यहां पर देवी प्रतिमा की स्थापना के साथ 751 जवारा घट कलश स्थापित किए जा रहे हैं। जिनकी तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच रही है। गौरतलब है शहर का यह जवारा महोत्सव जिले का सबसे बड़ा सामूहिक जवारा उत्सव माना जाता है। यहां पर जवारों के दर्शन और महाआरती में शामिल होने के लिए जिले भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं माता रानी की भक्ति करते हैं।