नदियों और झरनों में बना रहे बोरी बंधान ताकि गर्मियों में बुझ सके वन्यजीवों और पंछियों की प्यास पिछले साल बनाए थे 566 बोरी बंधान,इस साल 75 का लक्ष्य…

0 121-122शेढ़ नदी पर बोरी बंधान करते हुए समितियों के सदस्य

नरसिंगपुर। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, ऐसे में यह कथन सटीक है कि जल ही जीवन है। गर्मियों की दस्तक के साथ ही जिले में भी कई जगहों पर रहवासी इलाकों और जंगली क्षेत्रों में पानी की कमी आ जाती है। जिसके कारण इन क्षेत्रों का जनजीवन और वन्य जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है। ऐसी ही स्थिति से निपटने के लिए पूर्व तैयारियों के क्रम और लोगों के बीच जल संरक्षण का महत्व बताने के लिए जन अभियान परिषद ने इस साल भी नदियों,झरनों और जंगली नालों में बोरी बंधान बनाने की शुरूआत कर दी है। इस अभियान के तहत जहां परिषद से जुड़ी समितियों और ग्रामीणों की मदद से जिले भर में 566 बोरी बंधान बनाए गए थे। वहीं इस साल जिले भर में लोगों की सहभागिता बढ़ाते हुए 75 बोरी बंधान तैयार करने का लक्ष्य परिषद के जिम्मेदारों ने तय किया है। इसी क्रम में कार्ययोजना अनुसार समिति सदस्यों एवं स्थानीय लोगों की स्वेच्छिक व सामूहिक सहभागिता द्वारा बोरी बंधान के कार्य किए जा रहे हैं। संस्था के प्रमुख जयनारायण शर्मा ने बताया कि ग्राम विकास प्रस्फु टन समिति डोंगरगांव के द्वारा पांसी ग्राम में शेढ़ नदी पर लगभग 260 बोरियों से बोरी बंधान किया गया। जिससे कि नदी के बहते पानी को रोककर भूमिगत जलस्तर बढ़ाने के साथ गर्मियों में पशुओं,जीव.जंतुओं व आम लोगों की जल उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी और गर्मी में इस पानी से कृषि सिंचाई एवं तरबूज व सब्जी कर कृषि व फ ल सब्जी की सिंचाई में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा ग्राम पिटुआ पस्ताना, बम्होरी, तिंदनी, बारूरेवा, कल्याणपुर आदि जगहों पर बनाए जा चुके हैं। संस्था प्रमुख जयनारायण शर्मा कहते हैं इन बोरी बंधानों को नदी की बहती हुई धार में करीब तीन फीट ऊंचाई तक बनाया जाता है। जिससे जलीय जीवन भी खतरे में नहीं पड़े और पानी का अन्य उपयोग भी हो सके। उन्होने बताया कि यह अभियान जब तक नदियों,झरनों और जंगली नालों में धार बहती रहेगी। तब तक जारी रहेगा।

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