0 कांग्रेस के जनघोषणा पत्र का एक और वायदा पूरा होगा
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने राज्यमंत्री मंडल के द्वारा राज्य में पेसा कानून के लागू किये जाने संबंधित विधेयक के मसौदे की मंजूरी का स्वागत करते हुये कहा कि राज्य की बड़ी आबादी इस कानून को लागू किये जाने के लिये लंबें अर्से से इंतजार कर रही थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के बदनीयती के कारण आदिवासी समुदाय को इस कानून को लागू करवाने के लिये परेशान होना पड़ा। भाजपा नहीं चाहती कि आदिवासी समाज के लोगों को उनका संवैधानिक अधिकार मिले। पिछले 15 वर्षों में भाजपा की सरकार ने आदिवासियों के साथ बहुत से छल किए उनमें से एक पेशा के नियम ना बनना भी था। विश्वास है कि पेसा कानून लागू होने से अनुसूचित क्षेत्रों को और अधिक स्वायत्तता मिलेगी और विकास के नए अवसर मिलेंगे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पेसा कानून पर बयानबाजी करने वाले धरमलाल कौशिक को यह बताना चाहिए कि 15 साल की भाजपा सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में पेसा कानून क्यों लागू नहीं किया गया। आदिवासी वर्ग के कानूनी अधिकारों का क्यों हनन किया गया। पेसा कानून को लागू करने की बजाय रमन की सरकार आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने के लिए एक विधेयक ले आई थी जिससे आदिवासियों की जमीन पर यह कब्जा कर सके। कांग्रेस की सरकार आदिवासी वर्ग को उसका कानूनी अधिकार दे रही है तो इससे भाजपा को पीड़ा क्यों हो रही है?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी देशभर में वंचित लोगों विशेषकर आदिवासी समाज के लोगों को उनके संविधान प्रदत्त अधिकारों को मिलने की वकालत करते रहे है। जब-जब भी कांग्रेस इस स्थिति में आई की वह आदिवासी समाज के लिये निर्णय कर सके। कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग की भलाई के लिये निर्णय लिया। छत्तीसगढ़ में पेसा कानून लागू किये जाने की तैयारी राहुल गांधी और भूपेश बघेल की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में राज्य के 32 में से 10 जिले आदिवासी बहूलआबादी के कारण 5वीं अनुसूची की श्रेणी में आते है। राज्य की 32 प्रतिशत से अधिक आबादी अनुसूचित जनजाति की है। ऐसे में राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का नियंत्रण आदिवासी समुदाय के पास पेसा कानून के माध्यम से जायेगा जिससे क्षेत्र के विकास के साथ आदिवासी समाज का और उनकी संस्कृति का भी उनकी सहमति से विकास होगा। इन क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय निवासियों के मौलिक अधिकारों का संरक्षण पेसा कानून से ही संभव होगा। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से ही पेसा कानून लागू करने की मांग की जा रही थी जो अब जाकर पूरी हेई। पेसा कानून लागू होने के बाद अनुसूचित क्षेत्रों की 85 जनपदों की कमेटियों में 50 प्रतिशत या इससे अधिक लोग आदिवासी होंगे। बाकी गैर अनुसूचित जनपदों में एससी, ओबीसी सदस्यों की आबादी के अनुपात से नियुक्तियां होगी। साथ ही पेसा कानून में ग्राम सभाओं को आईपीसी के तहत 26 अधिकार दिये गये है, जिससे ग्राम सभा और सशक्त होगी।