विष्णु देव साय के सुशासन पर वन विभाग के अधिकारी ने चलवा दी आरी; कटवा दिए हरे भरे पेड़

 

0  बकावंड के डिप्टी रेंजर की अनुमति पर उठे सवाल
0 काट दिए गए सागौन और सरगी प्रजाति के पेड़ 
(अर्जुन झा)बकावंड। एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार सुशासन तिहार मना रही है, वहीं वन मंत्री के गृह संभाग में ही वन विभाग के कर्मचारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हरे भरे विशाल पेड़ों को कटवा कर साय सरकार की छवि धूमिल करने में लगे हैं। डिप्टी रेंजर ने ग्रामीणों के विरोध को नजर अंदाज करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन पर आरी चलवा दी है। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
मामला बकावंड ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत उलनार का है, जहां पेड़ काटने की अनुमति देने को लेकर ग्रामीणों में काफी नाराजगी है। बकावंड वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत उलनार में एक व्यक्ति ने अपने घर के सामने शासकीय भूमि पर लगे छोटे झाड़-झंखाड़ और पेड़ों को व्यक्तिगत उपयोग के लिए काटने हेतु आवेदन दिया था। यह व्यक्ति ग्राम के उप सरपंच का पड़ोसी बताया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बिना वन समिति की जानकारी और बिना किसी सार्वजनिक सूचना के डिप्टी रेंजर ने जांच कर सीधे पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी। इस आदेश की आड़ में सागौन और सरगी प्रजाति के विशाल पेड़ों पर भी आरा चलवा दिया गया। इन पेड़ों के गोलों को देखकर ही अनुमान लगाया जा सकताहै कि पेड़ कितने विशाल रहे होंगे। वन समिति के अध्यक्ष श्यामदास बघेल समेत समिति के अन्य सदस्य कोमो राम, ललित, शंकर, सुदरन, शिवराम, तुलसी, मंगला और रघुनाथ ने बताया कि उन्हें न तो स्थल जांच की सूचना दी गई, न ही आदेश की जानकारी मिली। जब वन समिति अध्यक्ष को ही इस संबंध में जानकारी नहीं थी, तो फिर यह प्रक्रिया कैसे पूरी हो गई? यही सबसे बड़ा सवाल बनकर सामने आया है। बीट गार्ड से जब वन समिति अध्यक्ष ने फोन पर पूछताछ की, तो उसने बताया कि डिप्टी रेंजर ने आदेश दिया है, आवेदन लगा था इसलिए अनुमति दी गई है। आरोप यह भी है कि डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड के संरक्षण में हरे-भरे जीवित पेड़ काटे गए हैं, जो वन अधिनियम का खुला उल्लंघन है। काटे गए पेड़ों में सरगी और सागौन के पेड़ भी शामिल होने की बात कही जा रही है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग एक लाख रुपए से भी ज्यादा है।

ग्रामीणों ने उठाई जांच की मांग
स्थानीय ग्रामीणों ने इस कार्रवाई की जांच की मांग की है और कहा है कि वन समिति की अनदेखी कर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला उस समय सामने आया है जब पूरे राज्य में शासन की पारदर्शिता और जिम्मेदारी को लेकर सुशासन तिहार मनाया जा रहा है। अब देखना होगा कि वन मंत्री और संबंधित विभाग के उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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