० मारे गए नक्सलियों की पहचान में भी विरोधाभास
जगदलपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि बीजापुर में नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन संकल्प से साय सरकार में आपसी विश्वास तथा मुख्यमंत्री और गृहमंत्री में सामंजस्य न होने का तथ्य उजागर हुआ है।
दीपक बैज ने कहा कि पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा नक्सल अभियान चलाया गया जिसका गृहमंत्री ने पुरजोर खंडन करते हुए ऐसे किसी ऑपरेशन से इंकार किया था। जबकि मुख्यमंत्री ने अभियान चलाए जाने की बात कही थी। श्री बैज ने कहा कि इतने बड़े ऑपरेशन पर सरकार एक राय नहीं थी। कैसे गृह मंत्री को इसकी जानकारी नहीं थी? इस घटनाक्रम से साबित होता है सरकार मे आपस मे विश्वास का संकट है। दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दावा किया कि ऑपरेशन संकल्प में 22 नक्सली मार गिराए गए हैं। उसके बाद गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि कोई ऑपरेशन संकल्प नहीं चल रहा है और ऐसी कोई संख्या नहीं है, यह झूठ है। लेकिन पता चला कि बीजापुर ज़िला अस्पताल में 22 शव पोस्टमार्टम के लिए पहुंचे हैं। बीजापुर की स्थानीय मीडिया, बस्तर की मीडिया और प्रदेश की भी मीडिया को अस्पताल में नहीं जाने दिया गया। चारों ओर सवाल उठे, शव मोर्चुरी में सड़ने लगे तब पुलिस ने 12 मई की शाम प्रेस रिलीज़ जारी कर बताया कि ऑपरेशन संकल्प में कुल 31 नक्सली मारे गए हैं। बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्रान्तर्गत विगत दिनो में हुई पुलिस नक्सली मुठभेड़ में बरामद नक्सलियों के शवों में से अब तक कुल 20 नक्सलियों के शवों की पहचान कर ली गई है। पहचाने गए 20 नक्सलियों के शवों में से 11 शवों को पोस्टमार्टम और कानूनी औपचारिकता के पूरा होने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है। मुठभेड़ में बरामद शेष 11 नक्सलियों के शवों की पहचान की प्रक्रिया जारी है। पहचान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, उनके शव भी परिजनों को सौंप दिए जाएंगे। दीपक बैज ने कहा कि इस प्रेस रिलीज़ में भी विरोधाभास है। अगर 20 की पहचान कर ली गई है तो सिर्फ़ 11 क्यों सौंपे गए? अगर 20 की पहचान हो गई तो 11 की पहचान की प्रक्रिया कैसे जारी हो सकती है? हमारा सवाल है क्या ऑपरेशन संकल्प चल रहा है? अगर हां तो इसका क्या विवरण है? ऐसा कैसे हो सकता है कि पुलिस कोई ऑपरेशन चला रही है और गृहमंत्री को इसकी जानकारी नहीं है? कुल कितने शव बरामद किए गए? अगर 31 नक्सली मारे गए तो बीजापुर में 22 शव ही कैसे पहुंचे और बाक़ी शव कहां हैं? अगर सुरक्षा बलों को इतनी बड़ी सफलता मिली तो इसकी घोषणा करने में इतना समय क्यों लगा? जिनकी पहचान की गई उनके क्या-क्या नाम हैं? जिन शवों को पहचान कर हैंडओवर किया गया, उनके क्या नाम हैं और मृतकों से उनका क्या क्या रिश्ता है? कितने शव को पहचानना अभी बाक़ी है?
खनिज संपदा मित्रों के हवाले
पीसीसी चीफ दीपक बैज ने आरोप लगाया कि बस्तर की बहुमूल्य खदानों को मित्रों को सौंप रही डबल इंजन की सरकार। बस्तर के संसाधनों पर भाजपा सरकार की बुरी नजर है, विष्णुदेव साय की सरकार ने छत्तीसगढ़ को एक बार फिर कॉरपोरेट घरानों का चारागाह बना दिया है। उन्होंने कहा कि बस्तर की चार बड़ी लौह अयस्क खदानें निजी पूंजीपतियों कोदे दी गई हैं। 2 खदानें बैलाडीला-1 और बैलाडीला-1ए की खदान आर्सेलर मित्तल को 50 साल के लिए लीज पर दी गई है। बैलाडीला 1 बी खदान रूंगटा स्टील को 50 साल के लिए दिया गई है।कांकेर जिले के हाहालादी खदान सागर स्टोन को 50 साल के लिए दे दिया गया है। यह शुरूआत है इसके बाद बस्तर की सभी बहुमूल्य खनिज संपदा को अडानी को सौंपने की तैयारी की जा रही है। अडानी के लिए बस्तर में रेड कार्पेट बिछाई जा रही है। दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार बस्तर में खनन आधारित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्थापित करने के बजाय, बहुमूल्य खनिज संसाधन औने-पौने दाम पर पूंजीपतियों को लुटा रही है।विगत दिनों केंद्रीय इस्पात मंत्री छत्तीसगढ़ आए थे, तमाम विरोध के बावजूद भारत सरकार का सरकारी उपक्रम फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड भिलाई स्थित यूनिट को मात्र 320 करोड़ में बेच दिया गया। जबकि यह उपक्रम कभी घाटे में नहीं रहा बल्कि लगभग 100 करोड़ प्रति वर्ष का मुनाफा कमा रहा था। श्री बैज ने कहा कि रमन सिंह की सरकार के दौरान बस्तर के नागराज पर्वत मोदी के मित्र अदानी को बेचा गया। ग्राम सभा की फर्जी एनओसी लगाई गई, पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने जांच के बाद आवंटन रद्द करने का प्रस्ताव केंद्र की मोदी सरकार को भेजा था, लेकिन वह भी आज तक लंबित है। बस्तर के नगरनार में 20 हजार करोड़ से अधिक के सार्वजनिक क्षेत्र एनएमडीसी के प्लांट को बेचने के लिए केंद्र की मोदी सरकार विनिवेशीकरण की सरकारी साइट ‘‘दीपम’ पर सेल लगाकर रखी है। बस्तर के युवाओं के सरकारी नौकरी में रोजगार के अधिकार को बेच रही है मोदी सरकार। चुनाव के समय मोदी और अमित शाह ने बस्तर की जनता से वादा किया था कि नगरनार नहीं बिकेगा लेकिन बेचने की प्रक्रिया आज भी जारी है।भाजपा की सरकार की बुरी नजर केवल बस्तर के संसाधनों पर है। कांग्रेस पार्टी बस्तर के संसाधनों के बंदरबांट के खिलाफ शीघ्र ही बड़ा जन आंदोलन चलाने जा रही है। प्रेसवार्ता में मुख्य रूप से प्रदेश कांग्रेस प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू, शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य, ग्रामीण जिलाध्यक्ष प्रेमशंकर शुक्ला, महिला कांग्रेस शहर अध्यक्ष लता निषाद, नेता प्रतिपक्ष राजेश चौधरी, उपनेता प्रतिपक्ष कोमल सेना, रविशंकर तिवारी, राजेश राय, महामंत्री जाहिद हुसैन, सुभाष गुलाटी, असीम सुता,युंका अध्यक्ष अजय बिसाई, राष्ट्रीय प्रवक्ता जावेद खान, अनुराग महतो, पार्षद अफरोज बेगम, शुभम् यदु, लोकेश चौधरी, शादाब अहमद, एस नीला,ज्योति राव, सलीम जाफर आदि मौजूद रहे।