कांस्टेबल पर टै्रक्टर चढ़ाकर हत्या यही है, विष्णु के सुशासन की हकीकत – दीपक बैज

0 प्रदेश में रेत और खनन माफिया, बेलगाम 

रायपुर। बलरामपुर जिले में रेत माफिया द्वारा पुलिस कांस्टेबल के ऊपर टै्रक्टर चढ़ा कर हत्या किये जाने की घटना प्रदेश में विष्णु के सुशासन की वास्तविक हकीकत है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपाई सत्ताधीशो के संरक्षण में पूरे प्रदेश में रेत माफिया आतंक का खूनी खेल खेल रहा है। भाजपा के मंत्री, विधायक, नेता, रेत के अवैध कारोबार के भागीदार बने हुये है। अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर सत्तारूढ़ दल के नेता रेत माफिया की दादागिरी को प्रश्रय देते है। रेत घाटो के क्षेत्र के ग्रामीण और पंचायत कर्मचारी खनिज कर्मचारी बेबश और लाचार बन गये है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि पूरे प्रदेश में अवैध माइनिंग का कारोबार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के संरक्षण में फल-फूल रहा है। खनन माफिया भारतीय जनता पार्टी के सरकार में इतने बेफिक्र हो गए हैं की खुलेआम माइनिंग अधिकारियों कर्मचारियों की पिटाई कर रहे हैं। बलरामपुर की घटना पहली नही है, इसके पहले भी गरियाबंद में खनिज इंस्पेक्टर सहित अनेकों कर्मचारियों की पिटाई रेत माफिया ने किया था। रायपुर जिले के आरंग के पास समोदा के हरदीडीह रेत घाट में खनिज विभाग के 16 अधिकारी, कर्मचारियों को अवैध खनन माफिया के लोगों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था। उसके बाद खनिज विभाग के कर्मचारियों के द्वारा सील की गई मशीन खुलवाई गई और कार्यवाही का पत्रक भी फाड़ दिया। कार्यवाही के नाम पर प्रशासन लीपा-पोती किया गया था। ना मशीनें जप्त की गई और न ही गाड़ियां। इससे बेहद स्पष्ट है कि अवैध खनन माफियाओं को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। सरकार की इस ढिलाई का नतीजा है। पूरे प्रदेश में रेत माफिया, खनन माफिया बेलगाम हो चुका है। रायगढ़ में कोयले के कारोबार में घंटो गोली बारी हुई थी। प्रदेश के एक वरिष्ठ मंत्री के नजदीकी इसमें शामिल थे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने ठोस पॉलिसी बनाई थी, खनिज विकास निगम की निगरानी में प्रदेश के सभी 450 रेत खदानों में पारदर्शिता पूर्ण व्यवस्था बनाई थी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय रेत खदानों में लोडिंग चार्ज अधिकतम 450 रूपए था, जो अब भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी के चलते हैं 2000, 3000 और 5000 तक वसूले जा रहे हैं, जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है या अघोषित रूप से संरक्षण है?

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