० अब शुरु होगा भास्कली नदी बचाओ आंदोलन
(अर्जुन झा) बकावंड। इंद्रावती बचाओ आंदोलन की आंच अभी शांत भी नहीं हुई है कि इंद्रावती की पूरक और सहचरी भास्कली नदी के सीने पर रेत माफियाओं का खंजर चलने की बड़ी खबर सामने आ गई है। रेत माफियाओं की करतूत के कारण यह नदी भी पूरी तरह सूख चुकी है। रेत माफियाओं ने भास्कली बचाओ आंदोलन की बुनियाद तैयार कर दी है।
भास्कली नदी बकावंड विकासखंड के बनियागांव से होकर गुजरती है और दर्जनों ग्राम पंचायतों की हजारों एकड़ कृषि रकबे को सिंचित करती है। भास्कली नदी इन तमाम गांवों की लाइफ लाइन और जीवनदायिनी है। बनियागांव के पास इस नदी से बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन और परिवहन रेत माफियों द्वारा किया जा रहा है। बेतहाशा रेत निकाले जाने से भास्कली नदी सूखती जा रही है। भास्कली नदी उड़ीसा से प्रवाहित होकर इंद्रावती में मिलने से पहले करीब 100 किमी के फासले में स्थित पचासों गांवों के खेतों को सिंचित करती है। भास्कली नदी के सहारे ही इन गांवों के किसान धान, मक्का, उड़द, आदि की खेती करते हैं। कई किसान तो रबी सीजन में भी धान की भरपूर उत्पादन लेते हैं। यही नहीं भास्कली नदी अपने जल से हैंडपंपों, ट्यूबवेलों, कुंओं को भी भरपूर रखती है, लेकिन रेत माफियाओं ने किसानों और ग्रामीणों को भारी नुकसान पहुंचा दिया है। नदी के सूखने से खेतों की पर्याप्त सिंचाई नहीं हो पा रही है। भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, कुंए, हैंडपंप, ट्यूबवेल जवाब देने लगे हैं। किसानों और ग्रामीणों की शिकायत के बाद जब तसीलदार से चर्चा करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बल्कि ग्रामीणों का तो यह भी आरोप है कि तहसीलदार की आंखों के सामने ही रेत माफिया रेत खनन कर रहे हैं। परेशान किसानों ने अवैध रेत खनन पर रोक लगाने के लिए अब कलेक्टर बस्तर से गुहार लगाई है। बनियागांव के किसान डमरू राम, हेमराज भारती, खगेश्वर, नंदू सेठिया, पदलाम, जगदीश भारती, तोशिब भारती ने कलेक्टर को आवेदन देकर बताया है कि अवैध रेत खनन से नदी की धारा की दिशा बदल गई है और ग्राम पंचायत बनियागांव के 8- 10 किसानों की भूमि बाढ़ कटाव होने के कारण नदी में समा गई है, कई किसानोके खेतों में रेत भर गई है। रेत माफियाओं द्वारा जेसीबी से नदी को 15 फीट तक गहरा खोदकर रेत निकाल कर उसे बेचा जा रहा है। नदी का जल स्तर घटने के कारण कृषक परेशान हैं। गांव से होकर रेत भरे ट्रक एवं ट्रेक्टर चलने के कारण धूल मिट्टी से ग्रामवासी सौर कृषक परेशान हैं। ग्रामीणों ने भास्कली नदी और अपनी जमीन को बचाने के लिए आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है।