श्रम का सम्मान ही समाज की असली पहचान : दीपक बैज

0  बोरे बासी दिवस पर पीसीसी चीफ बैज ने बेटे सूर्यांश के साथ खाई बासी 
(अर्जुन झा)जगदलपुर। बटकी में बासी, चुटकी में नून, मे गावा थों दादरिया तैं कान दे के सुन ओ– चना के दार राजा, चना के दार रानी.. यह गीत छत्तीसगढ़ मे अमर हो गया है। बोरे बासी, नून, गोंदली, चना के दार हमारे छत्तीसगढ़ की भोजन श्रृंखला के अटूट हिस्से रहे हैं। बोरे बासी के चलन को फिर से जीवित करने का काम पूर्व की भूपेश बघेल सरकार ने किया है। आज 1 मई श्रमिक दिवस को छत्तीसगढ़ मे बोरे बासी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने लोहंडीगुड़ा विकासखंड के अपने गृहग्राम उसरीबेड़ा स्थित निवास मे अपने पुत्र सूर्यांश के साथ बोरे बासी खाकर श्रमिकोंके प्रति श्रद्धा व्यक्त की।
पीसीसी चीफ दीपक बैज और सूर्यांश बैज ने बोरे बासी के साथ नून, गोंदली यानि प्याज, हरी मिर्च, मठा, कढ़ी और भिंडी की सब्जी का लुत्फ उठाया। पिता पुत्र ने बड़े चाव से बोरे बासी खाई। इस संवाददाता से चर्चा करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बोरे बासी न सिर्फ हमारे छत्तीसगढ़ की परंपरा है, बल्कि मेहनतकश श्रमिक साथियों के सम्मान की भावना भी इसमें समाहित है। श्रम का सम्मान ही हमारे समाज की असली पहचान है। आज बोरे-बासी ग्रहण कर श्रमिकों के श्रम, संस्कृति और संघर्ष को नमन करने का सौभाग्य मुझे मिला है। दीपक बैज ने कहा- यह दिन याद दिलाता है कि समाज की असली शक्ति वे हाथ हैं जो ईंट, मिट्टी, पसीने और हौसले से देश का भविष्य गढ़ते हैं। बोरे बासी खाकर हम उस मेहनत को नमन करते हैं, जो बिना कैमरे, बिना माइक, चुपचाप राष्ट्र निर्माण में लगी रहती है। समाज को श्रमिक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दीपक बैज ने समाज के सभी वर्गों से श्रमिकों के सम्मान मे आज के दिन बोरे बासी जरूर खाने की अपील की। श्रमिक दिवस के अवसर पर आज पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने बोरे बासी खाकर छत्तीसगढ़ की परंपरा कायम रखने का प्रयास किया।प्रदेश में लगभग सभी वर्ग के लोग बासी खाकर अपने को मजबूत रखते हैं। खासकर हमारी श्रमिक बिरादरी बासी खाकर हाड़तोड़ मेहनत करती है, फिर भी उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं आती, ये है बोरे बासी का कमाल।

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