सुकमा। आज जबकि मामूली पंच पद पाकर व्यक्ति आसमान में उड़ने लगता है, खुद को तुर्रम खां समझ बैठता है, वहीं बस्तर संभाग में ऎसी महिला जिला पंचायत सदस्य एवं सभापति भी हैं, जिन्हें अपने पद का जरा भी गुमान नहीं है। वे आम आदमी की तरह जीती हैं और आचरण भी वैसा ही करती हैं। वे अक्सर आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों और गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के साथ बैठकर उनका हालचाल पूछती हैं, उन्हें दिए जाने वाले पोषण आहार की गुणवत्ता खुद चख कर परखती हैं।
हम बात कर रहे हैं बस्तर संभाग की सुकमा जिला पंचायत के क्षेत्र क्रमांक 6 की सदस्य श्रीमती गीता कवासी की। सुकमा जिला छत्तीसगढ़ का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिला है। इसके चलते जिले के सुदूर गांवों तक अधिकारी कर्मचारी नहीं पहुंच पाते। ऐसे दुर्ग एवं संवेदनशील गांवों में भी जिला पंचायत सदस्य तथा जिला पंचायत की महिला एवं बाल विक्स समिति की सभापति गीता कवासी बेधड़क पहुंच जाती हैं। वे गांवों के आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों के साथ पंगत में बैठ जाती हैं और उनके साथ बैठकर बच्चों को दिए जाने वाले पौष्टिक भोजन का स्वाद चखकर उसकी गुणवत्ता पखती हैं। गीता कवासी केंद्रों की कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं आंगनबाड़ी केंद्रों को हमेशा साफ सुथरा रखने, बच्चों के आहार की पौष्टिकता और बच्चों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखने के निर्देश देती हैं। सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं को धुर नक्सली क्षेत्र में विशेष रूप से महिला बाल विकास से जुड़े हुए, आंगनबाड़ी केंद्र में पौष्टिक आहार को उपलब्ध कराना और उसकी समय समय पर जांच करना बहुत मुश्किल होता है,किंतु जिला पंचायत सदस्य और महिला बाल विकास की सभापति श्रीमती गीता कवासी ने अपने कार्य करने के अंदाज से सबका दिल जीत लिया है। वे अपने क्षेत्र के सभी आंगनबाड़ी केंद्र जाकर ओर खुद उनके बीच बैठ कर भोजन को चखती है और कर्मचारियों को आवश्यक निर्देश भी देती हैं। गीता कवासी की यह पहल अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए अनुकरणीय है।