वनों ही नहीं वन्यप्राणियों की भी सुरक्षा के लिए भी संवेदनशील हैं वन मंत्री केदार कश्यप

० भालू के साथ हुई क्रूरतापर नजर आई संवेदनशीलता 
०  भटके बाघ की भी जान बचा चुके हैं मंत्री कश्यप 
(अर्जुन झा)जगदलपुर। आदिवासी जितना प्यार अपनी परंपरा संस्कृति और जंगलों से करते हैं, उससे भी ज्यादा लगाव वे वन्यप्राणियों के साथ रखते हैं। बस्तर के जंगलों की वादियों के बीच बसे गांव में जन्मे युवा आदिवासी नेता तथा छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप में भी यह गुण कूट कूट कर भरा हुआ है। वनों, वनभूमि, पेड़ों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए वे हर पल तत्पर रहने वाले जंगल महकमे के मंत्री केदार कश्यप की ऎसी ही सदाशयता का एक उदाहरण हमें बस्तर संभाग के सुकमा जिले में भालू के साथ क्रूरता के मामले में भी देखने को मिला है।
हाल ही में भालू के साथ क्रूरता पूर्वक व्यवहार और उसकी हत्या का मामला उजागर हुआ था। इस मामले में उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष पीआईएल फाईल की गई है। भालू की हत्या की खबर से वन मंत्री केदार कश्यप बेहद व्यथित और द्रवित हो उठे। उन्होंने इसे अक्षम्य अपराध मानते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छग तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक, (वन्य प्राणी) को कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिसके बाद मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर वृत्त, जगदलपुर ने वन मंत्री निर्देशानुसार प्रकरण की त्वरित जांच, जांच कमेटी के जरिए करवाई। वायरल वीडियो को देखकर मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर ने संभावना जताई कि यह घटना सुकमा क्षेत्र का हो सकती है। इसी आधार पर वन मंडलाधिकारी सुकमा द्वारा तत्काल एक टीम गठित कर जांच प्रारंभ की गई। सभी परिक्षेत्र अधिकारी एवं परिसर रक्षकों को अपने क्षेत्र के ग्रामों एवं वन क्षेत्रों में सघन पतासाजी करने, क्षेत्र के आवसीय स्कूलों में पोटा केबिनों में अध्ययनरत छात्रों, शिक्षकों, एवं पढ़‌ने वाले छात्रों, संदिग्ध ग्रामीणों की सूचीबद्ध कर विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए गए। सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक को भी उनके अधीनस्थ पुलिस थाना प्रभारियों एवं स्थानीय अधिकारियों से प्रकरण की जांच में सहयोग करने के लिए सूचित किया गया। वन मंडल सुकमा के समस्त वन अधिकारियों व कर्मचारियों को दैनिक प्रगति से अवगत कराने के लिए कहा गया था।

घोषित किया 10 हजार का ईनाम
वनमंत्री केदार कश्यप हजार रुपए का ईनाम देने की भी घोषणा की थी। सुकमा जिले में भालू पाए जाने वाले संभावित प्राकृतिक आवासीय क्षेत्रों को चिन्हांकित कर जांच करने के निर्देश दिए गए। प्रकरण की जांच प्रक्रिया के आधार पर घटना क्षेत्र सुकमा जिले का किस्टाराम इलाका पाया गया। संभावित घटना स्थल डब्बामरका क्षेत्र के ग्राम पुट्टपाइ के आरोपी वंडो भीमा पिता पांडू जाति मुरिया उम्र लगभग 20 वर्ष एवं चंडो देवा पिता देवा जाति मुरिया उम्र लगभग 40 वर्ष चिन्हित किए गए। ये दोनों का गांव पुट्टेपाड़ दूरस्थ, दुर्गम एवं अत्यंत नक्सल प्रभावित अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने के कारण पुलिस एवं सुरक्षा बलों के सहयोग से जांच दल ने 13 अप्रैल को ग्राम पु‌ट्टेपाड़ क्षेत्र भेजा गया। आरोपी ग्राम से फरार हो गए थे। इसके बाद तेलंगाना का सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण पुलिस अधिक्षक जिला भद्रकाली (कोत्तागुइन) तेलंगाना एवं वन मंडलाधिकारी, भद्राचलम वनमहल (तेलंगाना) से सहयोग मांगा गया। जांच दल सक्रियता से क्षेत्र पर तैनात थे तथा विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान में लगे हुए थे? दल सूचनाओं को आदन प्रदान करते रहे। इसी दौरान आरोपियों का पता चल गया और उन्हें 14 अप्रैल को पकड़ा लिया गया। दोनों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए वन अपराध प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।

 

वर्सन
अनमोल संपदा हैं वन्य जीव
वन्य जीव हमारे अमूल्य वन सम्पदा हैं जिनकी सुरक्षा और संवर्धन की जिम्मेदारी शासन, वन प्रशासन के साथ वनों में रहने वाले लोगों की भी है। भालू के साथ क्रूरता वह बहुत ही दुखद थी। मामले में वन विभाग को कार्रवाई करने दिशा निर्देश दिया गया था। में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। कानूनी कार्रवाई के साथ न्यायलय के समक्ष उन्हें प्रस्तुत कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
-केदार कश्यप,
वन मंत्री, छग शासन

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