रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में ध्यानाकर्षण काल के दौरान पीएचई विभाग में उप अभियंताओं की भर्ती को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। भाजपा विधायक राजेश मूणत और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सरकार की भर्ती नीति पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, डिप्लोमा धारक को योग्य माना जा रहा है, लेकिन डिग्रीधारी को अयोग्य कैसे करार दिया जा सकता है?
राजेश मूणत ने तंज कसते हुए कहा, क्या यह एक उलट-पुलट व्यवस्था है ज्यादा पढ़ने वाला अयोग्य और कम पढ़ने वाला योग्य? मूणत ने ये सवाल उठाया कि पीडब्ल्यूडी में डिग्रीधारी उप अभियंता योग्य होते हैं, तो पीएचई में क्यों नहीं? क्या भर्ती नियमों को फिर से परीक्षण नहीं किया गया? इस पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने सफाई देते हुए कहा, प्रदेश में 30 से अधिक पॉलिटेक्निक कॉलेज हैं, जहां से हर साल 8 हजार युवा डिप्लोमा लेकर निकलते हैं। विभिन्न विभागों के भर्ती नियम अलग-अलग हैं, और यह व्यवस्था 1977 से लागू है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने तो सवालों की झड़ी लगाते हुए सरकार से सीधा पूछा, क्या आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानेंगे या नहीं? इस पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू नहीं होता, जिससे विपक्ष और भी आक्रोशित हो गया।
कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने भी अपनी चिंता जाहिर करते हुए चेतावनी दी कि भर्ती नीति के परिणामस्वरूप भविष्य में पदोन्नति की व्यवस्था प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि उप अभियंता (एई) के 75% पद पदोन्नति से भरे जाते हैं, लेकिन अब डिप्लोमा धारक आगे एई नहीं बन पाएंगे, क्योंकि इसके लिए डिग्री आवश्यक होगी।
सदन में सरकार के इस फैसले पर हंगामा बढ़ते देख विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को नियंत्रित किया। विपक्ष ने भर्ती नीति की पुनः समीक्षा की मांग करते हुए इस मामले में सरकार से स्पष्ट और संतोषजनक जवाब देने की चेतावनी दी।