0 शासन के आदेश को ठेंगा दिखाते रहेंगे ये एसपी
0 पंचायत सचिव बाज नहीं आएंगे बाजीगरी दिखाने से
(अर्जुन झा) जगदलपुर। सरकार चाहे कोई भी जतन कर ले मगर ग्राम पंचायतों में सचिवों की चलबाजी और एसपी यानि सरपंच पतियों की दखलंदाजी रुकने वाली नहीं है। सरकारी धन लूटने का खेल पहले की तरह ही चलता रहेगा।
केंद्र सरकार के निर्देश पर छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है। इसमें जिला एवे जनपद पंचायतों के सीईओ से कहा गया है कि ग्राम पंचायतों में महिला सरपंचों के पंचायत से संबंधित कामकाज, नियोजन एवं अन्य कार्यों में उनके पतियों व एवं रिश्तेदारों का बिल्कुल भी हस्तक्षेप न होने पाए। अमूमन होता यह है कि महिला सरपंच सिर्फ नाम की सरपंच होती हैं, उनकी जगह पंचायतों में उनके पति ही सारा काम देखते हैं। वित्तीय मामले भी सरपंच पति ही निपटाते हैं। केंद्र और राज्य सरकार कि योजनाओं की राशि के आहरण एवं वितरण का कार्य सरपंच एवं सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर होता है, लेकिन महिला सरपंचों के पति सचिव के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा करते हैं। पंचायती दस्तावेजों पर सरपंच पति से हस्ताक्षर करा कर सचिव के सीईओ और बाबू के पास पेश कर देते हैं। राशि आहरण और भुगतान से संबंधित दस्तावेजों को सीईओ सत्यापित कर बैंक भेज देते हैं। राशि आहरण के लिए मिलने वाले चेक पर भी सरपंच पति ही हस्ताक्षर कर राशि आहरण कर लेते हैं। यह काम सचिव की मिलीभगत से होता है। वहीं बैंक में हस्ताक्षर का मिलान कर पेमेंट कर दिया जाता है। क्योंकि संबंधित कार्य के वास्तविक दस्तावेज पर पहले से ही सरपंच पति अपनी पत्नी का फर्जी हस्ताक्षर कर चुका रहता है।
अभी 18 मार्च के बाद ग्राम पंचायतों की जवाबदारी नवनियुक्त सरपंचों को दी जाएगी, फिर सरपंच पति सचिव के साथ मिलकर सरकारी धन के साथ खेला शुरूकर देंगे। पंचायत सचिव की इसमें अग्रणी भूमिका होगी, किंतु सरपंच पति अर्थात sp साहब मुख्य खिलाड़ी रहेंगे, जो योजनाओं में आने वाले धन की बंदरबांट सचिव के साथ मिलकर करेंगे। जबकि योजनाओं को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा ग्रामीणों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से लागू किया गया है किंतु सरपंच पति और सचिव योजनाओं को कागजों तक सीमित रख उन्हें धरातल पर उतरने ही नहीं देते। इससे औ सरकार बदनाम होती है। ऐसा खेल बस्तर जिले में बड़े पैमाने पर चलता है।