रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में ई-वे बिल जांच के नाम पर कथित वसूली का मुद्दा गरमा गया। भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि ई-वे बिल की जांच के नाम पर ट्रकों को रोका जाता है, और इसके बाद लेन-देन कर उन्हें छोड़ दिया जाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह व्यवस्था व्यवसायियों को परेशान करने और अवैध वसूली करने का माध्यम बन चुकी है।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने खारिज किए आरोप
इस पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि सरकार के पास इस तरह की कोई भी शिकायत नहीं आई है। उन्होंने कहा कि विभाग पूरी पारदर्शिता से काम कर रहा है और डिजिटल प्रणाली के तहत ई-वे बिल जांच की जाती है, जिसमें वाहनों की स्कैनिंग एप के माध्यम से होती है। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो वीडियो अपलोड कर सूचना दी जाती है।
शास्ति वसूली और जांच टीम की जानकारी
मंत्री ने बताया कि प्रदेश में कर अपवंचन को रोकने के लिए 15 जांच टीमें बनाई गई हैं, जिनमें 63 अधिकारी शामिल हैं। अब तक 31 करोड़ रुपये की शास्ति वसूली की जा चुकी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी अधिकारी को एक ही स्थान पर लगातार तैनात नहीं किया जाता, ताकि किसी प्रकार की मिलीभगत की आशंका न हो।
विधायक ने की सख्त कार्रवाई की मांग
भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने कहा कि व्यवसायियों से लगातार वसूली की शिकायतें आ रही हैं और बिना कारण परेशान किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से इस मामले की गहराई से जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
ई-वे बिल की सीमा में बदलाव
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि ई-वे बिल जारी करने की सीमा को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार के ‘बीफा’ सॉफ्टवेयर से ट्रकों की ट्रैकिंग की जा रही है, जिससे गड़बड़ी की स्थिति में तत्काल कार्रवाई की जा सके।