मुश्किल की इस घड़ी में नेता एकजुट न हुए तो छत्तीसगढ़ में तहस नहस हो जाएगी कांग्रेस

० आखिर भूपेश बघेल तक पहुंच गई ईडी की आंच; झुलसने लगी है कांग्रेस 
०  निजी और संगठन हित के लिए भुलाने होंगे मतभेद 
(अर्जुन झा)रायपुर। ढाई तीन माह से जो अंदेशा जताया जा रहा था, वह सच साबित हो ही गया। आखिरकार ईडी के हाथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंच ही गए। कांग्रेस के टॉप लीडर भूपेश बघेल तक ईडी की तफ्तीश की आंच से समूची कांग्रेस पार्टी अब झुलसती दिख रही है। ऐसे में अगर बड़े कांग्रेस नेता अब भी नहीं चेते तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पूरी तरह तहस नहस हो जाएगी। कांग्रेस नेताओं को वर्चस्व की लड़ाई और टांग खिंचाई की राजनीति त्याग कर एकजुट हो जाने की जरूरत है। इसी में उनकी और उनके कांग्रेस संगठन की भलाई निहित है।
कांग्रेस शासन के दौरान छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला, कोल लेवी स्कैम, महादेव सट्टा आदि मामले कांग्रेस के लिए बड़े ही घातक साबित हुए हैं। कोल लेवी स्कैम और महादेव सट्टा मामले में भाजपा सीधे तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ही जिम्मेदार बताती रही है। रही सही कसर आबकारी घोटाले ने पूरी कर दी। इन तीनों मामलों में कई बड़े अधिकारी, राजनेता और सट्टेबाज गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें सौम्या चौरसिया जैसे कुछ अफसर और बस्तर के बड़े आदिवासी नेता एवं पूर्व मंत्री कवासी लखमा तो भूपेश बघेल के बेहद करीबी रहे हैं। कवासी लखमा ईडी की गिरफ्त में आने के बाद अभी जेल में हैं। शराबघोटाला मामले में कवासी लखमा की गिरफ्तारी के पहलेसे ही कयास लगाया जा रहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसियों के शिकंजे में कवासी लखमा तो आएंगे ही आएंगे, देर सबेरे भूपेश बघेल भी आ जाएंगे। अंततः ऐसा ही हुआ। इन बड़े घोटालों के दाग बड़े कांग्रेस नेताओं के दामन पर लगने से कांग्रेस का दामन भी छत्तीसगढ़ में मैला हुआ है। इसकीभारी कीमतपार्टी को विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव और नगरीय निकायों के चुनावों में चुकानी पड़ी है।

रस्सी जल गई, बल नहीं गया

राज्य की पहली सत्ता सम्हालने वाली कांग्रेस अब कहीं की नहीं रह गई है। इसके बाद भी इस प्रदेश के कुछ बड़े नेता रस्सी जल गई, मगर बल नहीं गया, वाली कहावत को चरितार्थ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। सत्ता से बेदखल होने के बाद से राज्य के कई कांग्रेस नेता अब संगठन पर कब्जा जमाने की कवायद करते आर हे हैं। पदलिप्सा ऎसी कि आदिवासी समुदाय से आने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज पर अनर्गल आरोप लगाने से भी कुछ स्वार्थी कांग्रेसी बाज नहीं आ रहे हैं। हर छत्तीसगढ़िया को यह बात अच्छे से मालूम है कि ऐसा दुष्प्रचार किस आका के इशारे पर किया जा रहा है। जिस दीपकबैज ने सांसद रहते हुए भी कभी किसी अधिकारी या बड़े ठेकेदारों से फूटी कौड़ी नहीं ली, कभी सांसद पद की गरिमा पर आंच नहीं आने दिया, उस दीपक बैज पर स्थानीय निकाय चुनावों में टिकट बेचने के बेतुके आरोप लगाए गए। फिर भी दीपक बैज की सज्जनता देखिए कि उन्होंने आरोप लगाने वाले नेताओं पर उंगली तक नहीं उठाई। वह सिर्फ इसलिए कि वे कांग्रेस परिवार को एकजुट रखे रहना चाहते हैं। कांग्रेस और सारे नेताओं की भलाई इसी एकजुटता में निहित है। सामने आन खड़े हुए संकट का सामना करने के लिए कांग्रेस के सारे नेताओं को एक होना ही होगा। अन्यथा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का झंडा उठाने वाले ढूंढे नहीं मिलेंगे।

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