छत्तीसगढ़ विधानसभा में भारतमाला परियोजना घोटाले का मुद्दा गरमाया, जांच की मांग

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के सातवें दिन प्रश्नकाल में भारतमाला परियोजना से जुड़े मुआवजा घोटाले का मुद्दा जोरशोर से उठा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रश्न का उत्तर निर्धारित समय से सिर्फ आधे घंटे पहले दिया गया, जिससे उसे पढ़ने और समझने का पर्याप्त समय नहीं मिला। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी इस पर सहमति जताते हुए सरकार को घेरा।

विधानसभा अध्यक्ष ने जताई नाराजगी

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी उत्तर मिलने में हुई देरी पर असंतोष जाहिर किया और संसदीय कार्य मंत्री को निर्देश दिया कि भविष्य में सभी प्रश्नों के उत्तर समय पर प्रस्तुत किए जाएं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि इस विषय को अगले सप्ताह के पहले प्रश्न के रूप में उठाया जाएगा।

मुआवजा घोटाले में करोड़ों की अनियमितता

भारत माला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापटनम इकोनॉमिक कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। इस घोटाले में तत्कालीन एसडीएम और वर्तमान में जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय साहू की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, निर्भय साहू ने अभनपुर में अपने कार्यकाल (अक्टूबर 2020 – जून 2023) के दौरान नियमों का उल्लंघन कर करोड़ों रुपये का मुआवजा घोटाला किया। आंकड़ों के मुताबिक, अभनपुर में मात्र 9.38 किलोमीटर के लिए 50.28 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण पर 248 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि धमतरी जिले के कुरूद में 51.97 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए 207.57 हेक्टेयर भूमि पर मात्र 108.75 करोड़ रुपये दिए गए। यह भारी अंतर स्पष्ट रूप से अनियमितताओं की ओर इशारा करता है।

छोटे प्लॉट बनाकर करोड़ों का फर्जी मुआवजा

जांच में यह भी सामने आया कि 3ए प्रकाशन के बाद 32 बड़े प्लॉटों को 247 छोटे प्लॉटों में बदल दिया गया और इस प्रक्रिया से कई करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा लिया गया। इतना ही नहीं, 51 हेक्टेयर सरकारी भूमि को निजी दिखाकर गलत तरीके से मुआवजा वितरित किया गया।

दिल्ली से दबाव के बाद हुआ खुलासा

इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब नेशनल हाईवे अथॉरिटी के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने रायपुर कलेक्टर को मामले की जांच करने के निर्देश दिए। रिपोर्ट में यह सामने आया कि वास्तविक मुआवजा केवल 35 करोड़ रुपये था, लेकिन 213 करोड़ रुपये अतिरिक्त बांटे गए। अब यह मामला सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। विधानसभा में विपक्ष ने इस घोटाले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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