लोक निर्माण विभाग में फिर लगा ठेकेदारों के भुगतान पर ग्रहण, करोड़ों की अदायगी अटकी

0 रूरल रोड प्रोजेक्ट-2 के कार्यों पर विपरीत असर 
0 नए इएनसी की नियुक्ति के बाद भी नहीं बदला ढर्रा 
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ शासन के लोक निर्माण विभाग के शीर्ष अधिकारी इंजीनियर इन चीफ को भले ही बदल दिया गया है, मगर विभाग के कामकाज का ढर्रा नहीं बदल पा रहा है। विभाग के ठेकेदारों के भुगतान पर फिर ग्रहण लग गया है। ठेकेदारों के करोड़ों का भुगतान रोक दिया गया है। इसके चलते बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित संभाग समेत प्रदेश के तमाम जिलों में सड़क व अन्य निर्माण कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ने का खतरा पैदा हो गया है।
प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने केंद्र और राज्य सरकारें छत्तीसगढ़ में कई योजनाओं के माध्यम से ऐसे विकास एवं निर्माण कार्यों को गति दे रही हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सहित कई अन्य योजनाओं के जरिए गांवों में विकास की किरण पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। आर आर पी-2 यानि रूरल रोड प्रोजेक्ट -2 भी इनमें शुमार है, जो केवल बस्तर के लिए लागू है। रूरल रोड प्रोजेक्ट 2 के माध्यम से बस्तर के सुदूर ग्रामीण अंचल, धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण कराया जाना है। इसकी जिम्मेदारी प्रदेश के लोक निर्माण विभाग को दी गई है। पिछले सत्र से लेकर 2023-24 तक आरआरपी 2 के कार्य से सुचारु रूप से चलाए जाते रहे, लेकिन वर्तमान सत्र में करीब 1 माह से इस योजना के कार्य करा रहे ठेकेदारों को भुगतान प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बस्तर संभाग के दर्जनों ठेकेदार जो आरआरपी 2 योजना के माध्यम से सड़क निर्माण कार्य में लगे है, उन्हें उनके कार्यों के भुगतान प्राप्त करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई भुक्तभोगी ठेकेदारों के अनुसार इसके पूर्व भुगतान हेतु एक तय प्रक्रिया बनी थी, जो इंजीनियर इन चीफ की देख रख में सीधे कार्य करती थी। इसके तहत पात्र ठेकेदारों को समय पर भुगतान हो जाता था। इससे ठेकेदार अपने कार्यों को समयावधि में पूरा करके सरकार की सड़क निर्माण योजना में सहायक बनते थे। ठेकेदारों से जुड़े कामगारों को भी पारिश्रमिक राशि के साथ ही मटेरियल सप्लायरों को भी राशि समय पर मिल जाती थी। नए इएनसी ने पुरानी प्रक्रिया को बंद कर नए नियम बना दिए हैं। अब किस प्रक्रिया के तहत भुगतान होगा, कब होगा यह तय नहीं है। इसे लेकर ठेकेदार पशोपेश में पड़ गए हैं। लोक निर्माण विभाग के अन्य अधिकारी इस मामले पर कुछ कहने को तैयार नहीं हैं। दर्जनों ठेकदारों के 300 करोड़ से लेकर 500 करोड़ रुपए तक अटकी राशि का कब भुगतान होगा, यह बड़ा मसला बन गया है। ठेकेदार इस बात को लेकर बहुत परेशान हैं कि वे अपने अधीनस्थ कार्य करने वालों को भुगतान कहां से और कैसे करें। बस्तर के कुछ जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अधिकारियों की हठधार्मिता के कारण बस्तर का विकास अवरुद्ध हो रहा है और सरकार की बदनामी हो रही है।बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित इलाके में जान माल को दांव पर लगाकर कार्य कराने वाले ठेकेदार अधिकारियों की तुगलकी फरमान से काफी परेशान हैं।

वर्सन
जल्द होगा समाधान
भुगतान को लेकर कुछ विभागीय पेचीदगियां हैं, जिन्हें दूर करने की कोशिश चल रही है। समस्या का जल्द समाधान कर लिया जाएगा।
-श्री भतपहरी,
इएनसी, लोक निर्माण विभाग, छग शासन

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