वेतन समझौता और भर्ती प्रक्रिया में देरी से नाराज है मजदूर संगठन, एनएमडीसी प्रबंधन को सौंपा ज्ञापन

0 एनएमडीसी में चार साल से वेतन समझौता लंबित 

0  कंपनी के सभी प्रोजेक्ट्स में खाली पड़े हैं 1200 पद 

जगदलपुर। बस्तर संभाग के बचेली स्थित राष्ट्रीय खनिज विकास निगम एनएमडीसी की परियोजनाओं में कार्यरत श्रमिकों के हितों के लिए मेटल माइंस वर्कर्स यूनियन (इंटक) और संयुक्त खदान मजदूर संघ (एटक) ने एकजुट होकर प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में वेतन समझौता, भर्ती प्रक्रिया और अन्य लंबित मांगों को शीघ्र हल करने की अपील की गई है।
ज्ञापन में बताया गया है कि 2021 से वेतन समझौता लंबित है। नियमित कर्मचारियों के लिए यह समझौता अब तक स्वीकृत नहीं हो सका है। इसी तरह ठेका श्रमिकों के लिए 2024 से के वेतन संशोधन पर कोई कदम नहीं उठाया गया है।एनएमडीसी की विभिन्न परियोजनाओं में 1200 पद रिक्त हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं की गई है। इन मुद्दों के चलते एनएमडीसी के सभी प्रोजेक्ट्स, विशेषकर बैलाडीला क्षेत्र के श्रमिकों और ठेका कर्मियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। मजदूर संगठनों ने साफ कहा है कि अगर 14 दिनों के भीतर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। श्रमिक संगठनों ने आरोप लगाया कि यह पहली बार है जब वेतन समझौते में इतनी देरी हो रही है। यूनियनों ने प्रबंधन के साथ 8 बैठकों में सहमति बनने के बावजूद 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि के प्रस्ताव को अब तक इस्पात मंत्रालय से स्वीकृति नहीं मिली है।

क्या कहते हैं यूनियन नेता

इंटक के सचिव आशीष यादव ने कहा कि एनएमडीसी जैसी नवरत्न कंपनी में श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण है। हम मजदूरों के वाजिब अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हैं, और इस देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।पिछले साल 15 नवंबर को यूनियन प्रतिनिधि मंडल ने इस्पात मंत्रालय को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। एटक के अध्यक्ष जागेश्वर प्रसाद ने सरकार और प्रबंधन के रवैये को श्रमिक विरोधी करार देते हुए कहा कि हम देश के विकास में अपनी 100 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। इसके बावजूद हमारा हक नहीं दिया जा रहा है। यह स्थिति अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बड़ी संख्या में नियमित और ठेका श्रमिकों ने ज्ञापन रैली में भाग लिया और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। यूनियनों ने साफ किया है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो उनका आंदोलन और तेज होगा। इंटक और एटक ने इसे मजदूरों के हक और सम्मान की लड़ाई बताया है।

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