छत्तीसगढ़ में सपा के संगठन का सफाया- हैदर भाटी

0 जिलाध्यक्षों, सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ी

रायपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार के साथ ही विधान परिषद के चुनाव में सफाये के बाद छत्तीसगढ़ में समाजवादी पार्टी का संगठन दो फाड़ हो गया है। छत्तीसगढ़ में सपा के सचिव एवं प्रदेश प्रवक्ता हैदर भाटी ने कई जिलाध्यक्षों, ढेरों पदाधिकारियों तथा सैकड़ों कार्यकर्ताओं सहित पार्टी छोड़ दी। सपा से 22 वर्षों से जुड़े हैदर भाटी ने राज्य में सपा का संगठन खड़ा करने में बहुत मेहनत की है। दस चुनाव लड़ चुके हैदर भाटी को यहां सपा संगठन की रीढ़ की हड्डी माना जाता है।
रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में हैदर भाटी ने समाजवादी पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि सपा पहले तो एक परिवार की पार्टी बन गई। उसके बाद अकेले अखिलेश यादव की प्राइवेट प्रापर्टी बनकर रह गई है। मुसलमानों को अपना बंधुआ समझ रखा है और अपने सियासी फायदे के लिए उनका इस्तेमाल किया। अखिलेश यादव ने मुस्लिम नेताओं को योगी आदित्यनाथ की सरकार से लड़वाने की रणनीति अपनाई। मुस्लिम नेता सपा के प्रति समर्पण भाव से अखिलेश यादव के लिए संघर्ष करते रहे। वे योगी सरकार के दमन का शिकार हुए। आजम खान जैसे नेता, जो समाजवादी पार्टी की बुनियाद के पत्थर हैं, उन्हें जेल भेज दिया गया लेकिन अखिलेश यादव ने साथ नहीं दिया। अखिलेश यादव ने मुस्लिम नेताओं के साथ यूज एन थ्रो का ऐसा सियासी खेल खेला है कि अब उत्तर प्रदेश सहित सारे देश के मुसलमान उनकी बेवफाई को राजनीतिक गद्दारी मानने मजबूर हैं। मुस्लिम समाज के रहनुमा आजम खान के साथ ही मुस्लिम समाज के कई नेताओं को अखिलेश यादव की खातिर जेल जाना पड़ा है। उनकी मिल्कियत पर बाबा का बुलडोजर चला लेकिन अखिलेश यादव ने कोई हमदर्दी तक नहीं दिखाई। मुस्लिम समाज के नेताओं को बलि का बकरा बनाने वाले अखिलेश यादव ने सपा को 111 सीटें दिलाने वाले समाज को यह हक भी नहीं दिया कि नेता प्रतिपक्ष बनाया जाय। सत्ता में आयें तो अखिलेश मुख्यमंत्री, चुनाव हार जायें तो अखिलेश ही नेता प्रतिपक्ष! पार्टी के अध्यक्ष भी अखिलेश! सब कुछ वे ही हैं तो आजम खान सहित मुस्लिम समाज के तमाम नेताओं की समाजवादी पार्टी में जरूरत ही क्या है?

हैदर भाटी ने कहा कि सपा को आजम खान ने खड़ा किया। मुलायम सिंह को वे बड़ा भाई मानते हैं इसलिए उन्हें सिरमौर बनाया। जब अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह और चाचा शिवपाल के नहीं हुए तो आजम खान के क्या होंगे,साथ देने वाले मुसलमान के क्या होंगे। अखिलेश को उन यादवों ने भी छोड़ दिया, जिन्हें हम मुसलमान नेताओं पर सरदारी करने के लिए आगे बढ़ाया गया। तब भी मुसलमान अपने ईमान पर डटे रहे। उत्तर प्रदेश में सपा को मिली एक एक सीट मुस्लिम नेताओं की मेहनत और मुस्लिम समाज की दरियादिली का नतीजा है। अखिलेश यादव ने मुसलमानों का इस्तेमाल किया है और उनके भरोसे को तोड़ा है। उत्तर प्रदेश में सपा छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ में हमने सपा के सफाये का बिगुल फूंक दिया है। ईमान पर कायम रहने वाले मुसलमान अपने स्वाभिमान से समझौता हरगिज नहीं कर सकते।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *