रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन स्वास्थ्य सेवाओं और फायर सेफ्टी जैसे अहम मुद्दों पर गरमा-गरम बहस हुई। सदन की शुरुआत एक खास मौके से हुई, जब छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर सभी सदस्यों ने उन्हें बधाई दी।
इसके बाद, भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि प्रदेश में कितने सरकारी और निजी अस्पताल हैं, और उनमें फायर सेफ्टी के क्या इंतजाम हैं। इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सदन को बताया कि प्रदेश में 1129 प्राइवेट अस्पताल हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है।
फायर सेफ्टी नियमों पर सख्ती स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि 30 से अधिक बिस्तरों वाले और क्रिटिकल केयर यूनिट वाले अस्पतालों को फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किया गया है। जिन अस्पतालों में यह सुविधा नहीं है, उनके लाइसेंस सस्पेंड करने और जुर्माना लगाने का प्रावधान है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में फायर सेफ्टी सिस्टम का ऑडिट जारी है, और हर जिले में जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है।
हमर क्लिनिक योजना पर बहस भाजपा विधायक राजेश मूणत ने अधूरे पड़े हमर क्लिनिक का मुद्दा उठाया। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ‘हमर अस्पताल, हमर क्लिनिक’ योजना के लिए 15वें वित्त आयोग से 38 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे, लेकिन वित्त विभाग की देरी के चलते राशि नहीं भेजी जा सकी। मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस बार बजट में राशि आवंटित की गई है और जल्द ही दूसरी-तीसरी किस्त जारी होगी।
भविष्य की योजना मंत्री जायसवाल ने कहा कि हमर क्लिनिक में पांच मानव संसाधन सहित पूरा सेटअप होगा, और जहां सुविधाएं पूरी हैं, वहां संचालन जारी है। इस योजना का मकसद स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाना है।
जनता की सुरक्षा प्राथमिकता सत्र के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि राज्य सरकार अस्पतालों में फायर सेफ्टी और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर है। नियमों का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।