छत्तीसगढ़ विधानसभा में हंगामा : बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण पर खर्च और गुणवत्ता को लेकर जांच की मांग

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राजधानी रायपुर के प्रसिद्ध बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण कार्यों में अनियमितताओं का मुद्दा सदन में गरमाया। भाजपा विधायकों ने नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव को घेरते हुए परियोजना में व्यय राशि और कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाए।

तीन एजेंसियां और करोड़ों का खर्च

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सरकार से सवाल किया कि बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण में किन मदों से राशि खर्च की गई। इसके जवाब में नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने कहा कि कार्य स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हुए हैं। इस पर अजय चंद्राकर ने आपत्ति जताते हुए कहा, “पर्यटन मंडल, नगर निगम और स्मार्ट सिटी परियोजना की राशि खर्च हुई है, लेकिन कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।” उन्होंने मामले की जांच कराने की मांग की।

6 करोड़ का फाउंटेन बंद, अनियमितता के आरोप

वहीं, भाजपा विधायक राजेश मूणत ने भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण में तीन-तीन एजेंसियों द्वारा काम किया गया है। मूणत ने आरोप लगाया कि 6 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित फाउंटेन बंद पड़ा है, जिससे कार्यों की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है। उन्होंने कहा, “परियोजना में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”

विपक्ष के तीखे हमलों के बीच नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने जवाब दिया कि बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण कार्यों की समीक्षा कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि परीक्षण के बाद यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने आश्वासन दिया कि जनता के पैसे की बर्बादी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

विपक्ष और सत्ता पक्ष में तीखी नोकझोंक

बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण को लेकर सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष ने सरकार पर परियोजना में पारदर्शिता की कमी और धन के दुरुपयोग के आरोप लगाए। भाजपा विधायकों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद तालाब का वास्तविक स्वरूप और उपयोगिता प्रभावित हुई है। बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण का मुद्दा विधानसभा के बाहर भी तूल पकड़ सकता है। विपक्ष का दावा है कि इस परियोजना में हुई कथित अनियमितताओं की परतें जांच के बाद खुलेंगी। सरकार के आश्वासन के बावजूद विपक्ष का रुख आक्रामक बना हुआ है, जिससे यह मुद्दा आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा मोड़ ले सकता है।

 

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