बस्तर में शांति और विकास का संकल्प, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शहीदों और पीड़ितों के परिजनों को दिया भरोसा

रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर के अमर वाटिका में शहीद जवानों और नक्सली हिंसा से प्रभावित परिवारों से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि इन वीर जवानों और निर्दोष नागरिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। केंद्र और राज्य सरकार उनके त्याग और बलिदान को चिरस्थायी बनाने के लिए कृतसंकल्पित हैं।

मां दंतेश्वरी की धरती से नक्सलवाद का पूर्ण अंत
शाह ने कहा, “मां दंतेश्वरी की पवित्र भूमि से नक्सलवाद को पूर्णतः समाप्त करने का हमारा संकल्प अटल है। पिछले एक वर्ष में सटीक रणनीति के चलते नक्सल गतिविधियों का दायरा सिमटा है। सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस के जवान मजबूती के साथ नक्सल मोर्चे पर डटे हैं, जिससे बस्तर में विकास के कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।”

पीड़ित परिवारों के लिए नई पहल
केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि हर सप्ताह पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) कार्यालय में शहीदों के परिजनों की समस्याएं सुनी जाएंगी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कलेक्टर भी इस मुहिम में शामिल हों ताकि प्रभावित परिवारों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।

शांति के लिए तीन स्तरीय रणनीति
शाह ने बताया कि नक्सल उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार तीन मोर्चों पर काम कर रही है:

  1. आत्मसमर्पण को प्रोत्साहन – नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का अवसर दिया जा रहा है।
  2. कानूनी कार्रवाई – माओवादियों को गिरफ्तार किया जा रहा है।
  3. सख्त जवाबी कार्रवाई – हिंसा में शामिल नक्सलियों को उनकी ही भाषा में जवाब दिया जा रहा है।

स्थानीय नेतृत्व का साथ
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, “शहीदों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। उनके स्मरण में गांवों में उनकी प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उनके परिवारों का हरसंभव ख्याल रखेगी।”

परिवार जैसा संबंध
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने परिजनों से मिलते हुए कहा, “आपका दर्द हम सभी का दर्द है। बस्तर में शांति और विकास के लिए आपका योगदान अमूल्य है।”

इस अवसर पर शहीद जवानों के परिजन और नक्सली हिंसा से प्रभावित नागरिक उपस्थित थे। केंद्रीय मंत्री ने उनकी हिम्मत और संकल्प को सराहा और आश्वासन दिया कि सरकार उनकी हरसंभव सहायता करेगी।

बस्तर में नया सवेरा
शहीद जवानों की स्मृतियां सहेजने और प्रभावित परिवारों की सहायता की यह पहल न केवल बस्तर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में शांति और विकास के एक नए युग की शुरुआत का संकेत है।

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