० बास्तानार जनपद भेजे गए एसएस मंडावी, नाग को बकावंड की जिम्मेदारी
० कलेक्टर हरिस एस ने की प्रशासनिक सर्जरी
(अर्जुन झा) बकावंड। बस्तर कलेक्टर हरिस एस ने सर्जरी तो बहुत ही छोटी सी की है, मगर इस छोटी सर्जरी में ही बकावंड का बड़ा इलाज हो गया है। लगातार आरोपों से घिरे रहे जनपद पंचायत बकावंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसएस मंडावी की अंततः बकावंड से विदाई हो ही गई। उन्हें बास्तानार जनपद में भेज दिया गया है। बकावंड में मंडावी की जगह सहायक संचालक एवं बास्तनार जनपद के सीईओ राजीव नाग को पदस्थ किया गया है।
कलेक्टर हरिस एस ने छोटी प्रशासनिक सर्जरी की है, लेकिन छोटी सर्जरी में ही बकावंड की बड़ी बीमारी का इलाज कर दिया। दरअसल कलेक्टर हरिस एस ने बस्तर जिले की तीन जनपद पंचायतों के मुखियाओं को इधर से उधर करने का आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत जनपद पंचायत बकावंड में लंबे समय से पदस्थ रहे मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसएस मंडावी को बकावंड की भूमि से हटाकर बास्तानार के बस्ते में डाल दिया है। एसएस मंडावी को वहीं बस्तानार जनपद का सीईओ नियुक्त किया गया है। वहीं बास्तनार के जनपद सीईओ एवं सहायक संचालक राजीव नाग को बजावंड जनपद का सीईओ बनाया गया है। वहीं परियोजना प्रशासक एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय में पदस्थ मंडल संयोजक सुरेश कुमार देवांगन को जनपद पंचायत तोकापाल का मुख्य कार्यपालन अधिकारी नियुक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि बकावंड में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान एसएस मंडावी लगातार आरोपों और विवादों से घिरे रहे हैं। जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया था।. सचिवों से सीधे संपर्क में रहकर उन्हें हर निर्माण एवं विकास कार्य में भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे दी गई थी, सरपंचो को सिर्फ स्टॉम्प बनाकर रख दिया गया था।
क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों में बिना कार्य कराए लाखों करोड़ों रुपयों के आहरण कर लिया गया है। ग्रामीण इन मामलों की प्रमाण सहित लगातार शिकायतें करते रहे, मगर सीईओ एसएस मंडावी ने न तो किसी मामले की जांच कराई न ही किसी सचिव या सचिव पर कार्रवाई की। ग्राम पंचायतों में ज्यादातर घपलेबाजी 15वें वित्त आयोग मद की राशि में की गई है। पूरी की पूरी राशि हजम कर ली गई और सीईओ आश्चर्यजनक ढंग से आंख मूंदे बैठे रहे। उल्टे वे दलील देते थे कि 15वें वित्त के कार्यों के लिए ग्राम पंचायतें स्वतंत्र हैं, हम इस मामले में दखल नहीं दे सकते।मतलब साफ है कि सचिवों को उनका भरपूर आशीर्वाद मिलता रहा है। यही वजह है कि सीईओ सचिवों के सीधे संपर्क में रहते थे। कई सचिवों के साथ उनका इतना गहरा लगाव था कि कांकेर के एक नेता को चुनवी फंड देने के लिए एक सचिव के जरिए सभी पंचायत सचिवों से लाखों रुपए जुटाए गए थे। हाल ही में बस्तर ओलंपिक के नाम पर भी ग्राम पंचायतों से लाखों रुपयों की उगाही की गई थी। उम्मीद है कि मंडावी की विदाई से पूरे जनपद क्षेत्र के ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलेगी। वहीं ग्रामीणों ने अपेक्षा की है कि नए सीईओ राजीव नाग पुराने सीईओ के नक्शे कदम पर नहीं चलेंगे।