सुकमा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में एक महिला समेत सात नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने भारी मात्रा में गोला-बारूद के साथ आत्मसमर्पण किया। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता करार दिया है।
सुशासन बना नक्सलियों के हिंसा का जवाब
सरकार ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्वीट करते हुए लिखा, “सुशासन नक्सलियों के हिंसा का जवाब बना है।” शासन की विभिन्न योजनाओं और सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव से प्रभावित होकर नक्सलियों ने हथियार छोड़ने का निर्णय लिया। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में लौटकर बेहतर जीवन जी सकें।
माओवादी संगठन पर भेदभाव और अत्याचार का आरोप
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने माओवादी संगठनों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संगठन में भेदभाव और अत्याचार का सामना करना पड़ता है, जिससे वे हताश हो गए थे। उन्होंने समाज में वापस लौटने और शांति से जीवन बिताने की इच्छा जताई है।
सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव का असर
पिछले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों ने कई सफल ऑपरेशन किए हैं। इन ऑपरेशनों में कई नक्सली नेता और मिलिशिया के सदस्य मारे गए हैं। इसके चलते माओवादी संगठन कमजोर पड़ते जा रहे हैं।
सरकार की पुनर्वास नीति
सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास, रोजगार, और शिक्षा जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। यह नीति नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति स्थापित करने के प्रयासों का हिस्सा है। छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षाबलों के इन प्रयासों को नक्सलवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। समाज में लौटने वाले नक्सलियों के इस निर्णय से क्षेत्र में शांति और विकास की उम्मीदें और मजबूत हुई हैं।