रायपुर। विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुसूचित क्षेत्र की आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों से विधि विरूद्ध अपात्र व्यक्तियों को तत्काल हटाने की मांग की है। पत्र में डॉ. महंत ने बताया कि नवंबर 2024 में राज्य के कई आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों में अशासकीय व्यक्तियों को बोर्ड की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकृत किया गया है, जबकि ये व्यक्तियों अनुसूचित जनजाति वर्ग से नहीं हैं, जो कि छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के खिलाफ है।
डॉ. महंत ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 की धारा 48 की उपधारा (5) के खंड (दो) के अनुसार, अनुसूचित क्षेत्र में संचालित सहकारी समितियों में अध्यक्ष या सभापति का चुनाव केवल अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों से किया जाना चाहिए। इसके तहत, जिला कोरिया की आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों जैसे रामगढ़, चिरमी, तरगांव, जामपारा और धौराटिकरा में भी इसी प्रकार के आदेश जारी किए गए थे, जिनमें अन्य वर्ग के व्यक्तियों को प्राधिकृत किया गया है।
उन्होंने इसे विधिक प्रावधानों का उल्लंघन बताया और कहा कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षित पदों पर अन्य वर्ग के व्यक्तियों को नियुक्त करना न केवल उनके अधिकारों की उपेक्षा है, बल्कि यह संवैधानिक दृष्टि से भी गलत है।
डॉ. महंत ने राज्यपाल से आग्रह किया कि राज्य सरकार को निर्देशित करें कि अनुसूचित क्षेत्र की आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों में केवल अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को ही बोर्ड की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकृत किया जाए। इसके अलावा, जहां भी विधि विरूद्ध अपात्र व्यक्तियों को प्राधिकृत किया गया है, उन्हें तुरंत हटाकर पात्र व्यक्तियों को नियुक्त किया जाए।