रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी ‘जनजातीय अस्मिता, अस्तित्व और विकास’ में भाग लिया और कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनजातीय समाज की परंपराओं की सराहना करते हुए कहा कि अन्य समाजों को जनजातीय समाज की परंपराओं से सीखने की आवश्यकता है। उन्होंने विशेष रूप से जनजातीय समाज के पारिवारिक मूल्यों और दहेज प्रथा के अभाव की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जनजातीय समाज में दहेज के नाम पर बहू-बेटियां कभी नहीं जलतीं। यहां बेटियों के जन्म का स्वागत किया जाता है और यह समाज सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर कार्यरत है।” उन्होंने बताया कि उनकी सरकार जनजातीय समाज के उत्थान और उन्हें सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है और जनजातीय गौरव दिवस के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
सीएम साय ने आगे कहा, “जनजातीय समाज का इतिहास बहुत ही गौरवशाली और समृद्ध है। सनातन संस्कृति और जनजातीय संस्कृति का आरंभ एक साथ हुआ था और राम के नाम से जनजाति समाज का गहरा संबंध है। प्रभु श्रीराम ने 10 वर्षों तक छत्तीसगढ़ में समय बिताया और जनजातीय समाज के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासियों का मान-सम्मान बढ़ाने का काम किया है और उनकी सरकार ने जनजातीय कल्याण मंत्रालय का गठन किया। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी उल्लेख किया, जो आदिवासी समाज से सर्वोच्च पद तक पहुंचने वाली पहली महिला हैं।
इस कार्यक्रम में वनवासी कल्याण आश्रम के संगठन मंत्री अतुल जोग, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।