गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के रिसगांव परिक्षेत्र में एक हाथी शावक को पोटाश बम की चपेट में आने के बाद गंभीर चोटें आईं हैं। यह शावक अपने 40 सदस्यीय दल से अलग हो गया था और अब 20 दिनों से वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा उसकी निगरानी की जा रही थी। बावजूद इसके, शावक की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है, जिसके चलते अब उसे इलाज के लिए रायपुर लाने की योजना बनाई जा रही है।
वन विभाग के उप निदेशक वरुण जैन ने बताया कि पोटाश बम की वजह से घायल शावक को उसके दल ने जंगल में अकेला छोड़ दिया था। उसके जबड़े और पैरों में गंभीर चोटें आईं हैं। वर्तमान में, डॉक्टर्स की टीम और रेस्क्यू टीम का ट्रैकर और रिजर्व अमला मिलकर उसकी देखभाल कर रहे हैं।
वरुण जैन ने कहा कि, “शावक की स्थिति लगातार नाजुक बनी हुई है और डॉक्टर्स उसकी स्थिति को सुधारने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। यदि अगले 24 घंटे में उसकी हालत में सुधार नहीं होता, तो उसे बेहतर इलाज के लिए रायपुर ले जाया जाएगा।” इस घटना ने वन्यजीव सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पोटाश बम जैसे खतरनाक उपकरण जंगलों में कैसे और क्यों पहुंचते हैं, इसकी जांच जरूरी है। वन विभाग की भूमिका पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।