पांचवी, आठवीं की परीक्षा को बोर्ड करने से शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधरेगी? जब स्कूलों में शिक्षकों की कमी है? – धनंजय सिंह

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा सरकार के पांचवी, आठवीं की परीक्षा को बोर्ड कर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने फैसले को हास्यपद बताया। उन्होंने कहा कि स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी है, सुविधाओं का अभाव है, कई स्कूल ऐसे हैं जहां चाक, डस्टर और बच्चों के बैठने के लिए व्यवस्था नहीं है, ऐसे में सिर्फ परीक्षा को बोर्ड करने से शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधरेगी? भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार ने ही तो पांचवी, आठवीं को बोर्ड परीक्षा से बाहर किया था? प्रदेश में शिक्षा का बाजारीकरण किया था। बिना सुविधा के निजी स्कूल खोलने की अनुमति दी थी। 3000 से अधिक स्कूलों को बंद कर 22 हजार से अधिक शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापक के पद को समाप्त किया था।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में 33,000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर मुहर लगनी चाहिए थी। प्रदेश के स्कूलों में रिक्त 57,000 से अधिक शिक्षकों के पद को भरने का फैसला होना था। आज प्रदेश में कई ऐसे स्कूल है जो शिक्षक विहीन है, कई स्कूलों में एक शिक्षक है, कई स्कूलों में दो शिक्षक है, कहीं पर विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी है, जब तक इन समस्याओं का निराकरण नहीं किया जाएगा, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होने के दावे खोखले साबित होंगे। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाला शिक्षक ही नहीं रहेगा तो बच्चे पढ़ेंगे कैसे? बच्चे जब पढ़ेंगे नहीं तो शिक्षा की गुणवत्ता आएगी कैसे? पढ़ेंगे नहीं तो बोर्ड की परीक्षा को पास कैसे करेंगे?

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम योजना की शुरूआत किया था और इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी में, हिंदी माध्यम में आधुनिक बनाया गया था जिसके पूरे प्रदेश में लगातार मांग उठ रही थी और शिक्षा की गुणवत्ता सुधर रही थी। पालक अपने बच्चों को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए आतुर थे। भाजपा की सरकार बनते ही इस योजना को बंद कर दिया गया है जिससे जनता में निराशा हुई है।

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