कोरबा। जिले के अंचल में खनिज न्यास मद का दुरुपयोग और अधिकारियों की मनमानी का एक और मामला सामने आया है, जिसमें 10 करोड़ रुपये की लागत से बनी एक इमारत उपयोग के बिना ही खंडहर में बदल गई है। यह मामला वर्ष 2018 में बाल सुधार गृह के भवन निर्माण के लिए अनुमोदित योजना से संबंधित है। नगर पालिक निगम कोरबा को इस निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी।
जानकारी के अनुसार, इस भवन का निर्माण सरकारी पैसे से किया गया था, लेकिन निर्माण के बाद अब तक इसे उपयोग के लिए हस्तांतरित नहीं किया गया है। इसका असली स्थान भी बदल दिया गया है और यह अब कोहड़िया क्षेत्र में स्थित बताया जा रहा है। इमारत के निर्माण का उद्देश्य बाल सुधार गृह को नया स्थान देना था, लेकिन योजना पूरी तरह से विफल हो गई।
इस कथित भवन की बर्बादी के बीच, बाल सुधार गृह में रह रहे बच्चों की स्थिति भी गंभीर है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बच्चों को जिले के रिसदी स्थित एक किराए के भवन के बेसमेंट जैसी जगह में रखा जा रहा है, जो पहले एक मुर्गी पालन केंद्र था। इस किराए की जगह के लिए हर महीने 30 हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
इस मामले में अधिकारियों की स्वेक्क्षाचारिता और बंदरबाट की तस्वीर सामने आ रही है। जहां एक ओर सरकारी पैसे का अपव्यय हो रहा है, वहीं दूसरी ओर बच्चों की बुनियादी सुविधाएं और देखभाल की स्थिति दयनीय बनी हुई है। अब यह सवाल उठता है कि क्या इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी? कोरबा अंचल की जनता इस मामले में न्याय की प्रतीक्षा कर रही है।