डिंडौरी। डिंडौरी जिले के पश्चिम करंजिया वन क्षेत्र के ठाडपथरा गांव के जंगलों में पिछले एक हफ्ते से टाइगर और हाथियों की गतिविधियों से ग्रामीणों में भारी दहशत फैल गई है। इस स्थिति को देखते हुए जनजातीय कार्य विभाग ने 29 नवंबर तक चार दिनों के लिए आसपास के 7 स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी है। छुट्टी का आदेश बीआरसी और बीईओ की रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है।
वन विभाग के एसडीओ एसके जाटव ने बताया कि पिछले हफ्ते छत्तीसगढ़ के जंगलों से चार हाथियों का दल ठाडपथरा गांव पहुंचा था। इन हाथियों ने पहले ग्रामीणों के घरों और फसलों को नुकसान पहुंचाया, और फिर वापस लौट गए। हालांकि, उनकी गतिविधियां फिर से दिखाई देने लगी हैं, और अब हाथी केवल फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वन विभाग की टीम इस पर लगातार निगरानी रख रही है और ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे बिना काम के जंगल में न जाएं। इसी दौरान, वन विभाग के ट्रैप कैमरों में टाइगर की लोकेशन भी कैद हुई है। इससे और भी खतरों की संभावना बढ़ गई है। वन विभाग ने मुनादी कराकर ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
स्कूलों में छुट्टी का आदेश
करंजिया विकासखंड के बीआरसी अजय राय ने बताया कि छत्तीसगढ़ सीमा से सटे गांवों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए जंगल पार करना पड़ता है, जो खतरनाक हो सकता है। कई स्कूलों में बच्चों की हाजिरी में कमी आ गई थी। इसे ध्यान में रखते हुए, वन विभाग और जनजातीय कार्य विभाग ने मिलकर यह निर्णय लिया कि गोपालपुर जन शिक्षा केंद्र के तहत पंडरीपानी, खम्हार खुदरा, चकमी, खारीडीह, चौरदादर और बजाग विकासखंड के चाडा वन ग्राम के स्कूलों में चार दिनों का अवकाश रखा जाए।
वन विभाग के अनुसार, 10 नवंबर को छत्तीसगढ़ से आए चार हाथियों ने पंडरीपानी गांव में दहशत मचाई और खेतों की फसलों को नुकसान पहुंचाया। वन विभाग ने तब ग्रामीणों को अलर्ट किया और हाथियों को खदेड़ने के बाद वे वापस छत्तीसगढ़ के जंगलों की ओर लौट गए थे। लेकिन 14 नवंबर को एक बार फिर यह हाथी वापस लौट आए और केंद्रा बहरा गांव में फूल सिंह के मकान को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद, वन विभाग ने रात में गश्त तैनात कर दी और ग्रामीणों को पक्के मकानों में रात गुजारने की सलाह दी।
ग्रामीणों की सुरक्षा की कोशिशें
वन विभाग और प्रशासन का पूरा प्रयास है कि ग्रामीणों को सुरक्षित रखा जाए और नुकसान से बचाया जा सके। हाथियों और टाइगर के खतरों को लेकर स्थानीय प्रशासन और वन विभाग सतर्क हैं, और ग्रामीणों को किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए लगातार अलर्ट किया जा रहा है।