0 आदिवासी जंगल रखवाला रे.. गीत पर गदर मचा दिया जवानों ने
(अर्जुन झा) जगदलपुर। बस्तर संभाग के सुकमा जिले में हुई मुठभेड़ में दस नक्सलियों को मार गिराने वाले जवानों का जोश हाई है। मुठभेड़ के बाद मोर्चे से लौटे जवानों ने इस कदर नाच गाकर खुशी मनाई कि नागरिक भी आल्हादित हो उठे। वहीं कुछ लोग यह कहते भी नजर आए कि जवानों का इस तरह बंदूकें लहराते हुए नाचना उचित नहीं है। उधर उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा द्वारा हौसला अफजाई की जाने से जवानों का जोश और भी बढ़ गया है। जवान केंद्र व राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप सन 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित हो गए हैं। यही वजह है कि मुठभेड़ों में पुलिस और सुरक्षा बलों को लगातार बड़ी कामयाबियां मिल रही हैं। शुक्रवार को बस्तर संभाग के सुकमा जिले की कोंटा तहसील के भेज्जी इलाके में नक्सलियों और जवानों के बीच हुई मुठभेड़ में दस नक्सली मारे गए। इन सभी नक्सलियों के शव और इंसास, एके- 47, एसएलआर जैसे अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए हैं। पहले कांकेर फिर नारायणपुर फिर बीजापुर जिलों में बड़ी संख्या में नक्सली मार गिराए गए थे। और अब सुकमा जिले में एकसाथ दस नक्सलियों का मारा जाना पुलिस और सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि है। सुकमा जिले के कोंटा एवं किस्टाराम एरिया कमेटी के नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर गुरुवार को डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और केंद्रीय अर्ध सैन्य बल सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ऑपरेशन के लिए रवाना हुई थी। शुक्रवार को सुबह ऑपरेशन के दौरान भेज्जी थाना क्षेत्र के ग्राम कोराजुगुड़ा, दंतेशपुरम नागारास, भंडारपदर के के जंगल में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ के बाद 10 नक्सलियों के शव और इंसास राइफल, एके-47 राइफल, एसएलआर राइफल समेत कई अन्य हथियार बरामद किए गए हैं।पुलिस का मानना है कि इस मुठभेड़ में और भी अनेक नक्सली मारे गए हैं तथा कई नक्सली गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उल्लेखनीय है कि गुरुवार को उड़ीसा से शबरी नदी को पार कर छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे नक्सलियों के एक समूह से उड़ीसा के मलकानगिरी में उड़ीसा पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। इस घटना के बाद सुकमा जिले में पुलिस और अन्य सुरक्षा बल अलर्ट मोड पर आ गए थे। ओड़िशा और सुकमा जिले के सीमावर्ती जंगलों में चौकसी बढ़ा दी गई थी। मुठभेड़ के बाद कैंप में वापस लौटे जवानों ने जमकर जश्न मनाया। ‘आदिवासी जंगल रखवाला रे’ गाने पर दर्जनों जवान हाथों में बंदूकें लेकर नाचते नजर आए। जवानों को इस तरह नाचते देख आसपास ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। ग्रामीण भी बेहद उत्साहित नजर आ रहे थे। वहीं कई पढ़े लिखे ग्रामीण यह भी कहते नजर आए कि जवानों का इस तरह बंदूकें लहराते हुए नाचना शोभा नहीं देता। जश्न मनाने के कई और तरीके हैं। मुठभेड़ में शामिल जवानों को प्रमोशन मिलना चाहिए, उनका सम्मान भी होना चाहिए।
भटके हुए लोग लौट आएं: शर्मा
छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस बड़ी उपलब्धि पर कहा है कि सुकमा जिले के भेज्जी थाना क्षेत्र मेंपुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने नक्सल विरोधी अभियान के तहत जो बड़ी सफलता हासिल की है, वह सराहनीय है। विजय शर्मा ने इस अभूतपूर्व सफलता के लिए बहादुर जवानों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा बल अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए नक्सल मोर्चे पर लगातार सफलता अर्जित कर रहे हैं। अब बस्तर क्षेत्र में माओवाद अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने भटके हुए लोगों से अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट आएं और देश व प्रदेश के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि सरकार विकास और संवाद के माध्यम से नक्सलवाद का स्थायी समाधान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। डिप्टी सीएम श्री शर्मा ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ मजबूती के साथ लड़ाई लड़ी जा रही है। सुरक्षा के मोर्चे पर हमारी सरकार ने एंटी नक्सल ऑपरेशन में बड़ी सफलता हासिल की है। पिछले 11 महीने में 210 से अधिक नक्सली मारे गए हैं, 800 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है तथा 900 से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे के संकल्प की दिशा में हमारी सरकार कदम बढ़ा रही है। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार राज्य में सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ सरकार को नक्सलवाद के खिलाफ हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार में नियद नेल्लानार योजना से बस्तर में बदलाव की शुरुआत हो गई है। बिजली, पानी, राशन, अस्पताल, स्कूल, आंगनबाड़ी जैसे तमाम सुविधाएं अब उन क्षेत्रों में मिलने लगी है और उन गावों के युवा खिलाड़ी बस्तर ओलंपिक में भयमुक्त होकर अपनी खेल प्रतिभा को दिखा रहे हैं। बस्तर में खेल के माध्यम से सुखद बदलाव भी आया है।