0 प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम को सौंपा ज्ञापन
जगदलपुर। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संयुक्त मंच, छत्तीसगढ़ द्वारा सांकेतिक प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम माग पत्र सौंपा गया। मांग पत्र कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में पंचायत कर्मी, शिक्षा कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, पंचायत सचिवों जैसे मानसेवियों को सरकार नीति बनाकर नियमित शासकीय कर्मचारी घोषित कर चुकी है। उसी तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को भी नियमित करते हुए शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए। शासकीय कर्मचारी घोषित करने तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 21 हजार रुपए और सहायिका को 17850 रुपए वेतन दिया जाए साथ ही वर्तमान में कार्यकर्ताओं को प्राप्त मानदेय 10000 रूपये की 85 प्रतिशत राशि सहायिकाओं के लिए स्वीकत की जाए। सेवानिवृत्ति पश्चात पेंशन ग्रेज्युटी की सुविधा दी जाए। कार्यकर्ता को 10000 और सहायिका को 8000 रुपए मासिक पेंशन के साथ बुढ़ापे के शेष जीवन यापन के लिए कार्यकर्ता को 5 लाख रूपये और सहायिका को 4 लाख रूपये एक मुश्त ग्रेज्युटी राशि प्रदान की जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को समूह बीमा योजना से जोड़ा जाए।कार्यकर्ता सहायिका की आकस्मिक मृत्यु पर परिवार के एक सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति दी जाए। मानदेय को मंहगाई भत्ता के साथ जोड़ा जाए और मंहगाई भत्ता स्वीकृत किया जाए। वर्षों से अल्प मानदेय में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को पदोन्नति के पद रिक्त होने के बाद भी 50 प्रतिशत का प्रतिबंध होने के कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है। 50 प्रतिशत के बंधन को समाप्त किया जाए और कार्यकर्ता को बिना उम्र बंधन के वरिष्ठता क्रम में बिना परीक्षा के सुपरवाइजर के रिक्त शत प्रतिशत पद पर लिया जाए। इसी तरह सहायिकाओं को भी 50 प्रतिशत के बंधन को समाप्त कर कार्यकर्ता के पद रिक्त होने पर शत प्रतिशत वरिष्ठता क्रम में कार्यकर्ता के पद पर पदोन्नत किया जाए।सभी केन्द्रों में गैस सिलेंडर और चूल्हा प्रदान किया जाए और सिलेंडर की नियमित रिफिलिंग की व्यवस्था सुगम बनाई जाए।
महंगाई में जीना मुहाल
संघ की बस्तर संभागीय अध्यक्ष रुक्मणि सज्जन ने कहा है बढ़ती मंहगाई के इस दौर में हम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका आर्थिक रूप से, मानसिक रूप से परेशान हैं। विभागीय काम के अलावा और भी कई सारे हमसे काम हमसे लिए जाते हैं, जिसके कारण विभागीय काम में बाधा उत्पन्न होती है। आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री हमारी मांगों का निराकरण करेंगे। रुक्मणि सज्जन ने उक्त मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उन्हें पूरा कराने की अपील की है।