झारखंड के आदिवासी बाहुल्य तीन विधानसभा क्षेत्रों में केदार कश्यप ने बना दिया भाजपाई माहौल

0 आदिवासी बेल्ट की सीटों की कमान मिली है कश्यप को 
0 आदिवासी मतदाताओं का जीत जीतने में कामयाब रहे आदिवासी नेता केदार 
(अर्जुन झा) जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री तथा बस्तर के धाकड़ एवं जुझारू आदिवासी नेता केदार कश्यप झारखंड विधानसभा के चुनाव में आदिवासी बेल्ट के मतदाताओं का दिल जीत रहे हैं। झारखंड के आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में केदार कश्यप ने अपनी शैली एवं मिलनसारिता के बूते भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में जबरदस्त माहौल बना दिया है।
बस्तर के आदिवासियों के बीच लोकप्रियता का परचम लहरा रहे छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप इन दिनों झारखंड विधानसभा के चुनावों में व्यस्त हैं। उन्हें वहां चार विधानसभा क्षेत्रों का कलस्टर प्रभारी बनाया गया है। ये विधानसभा क्षेत्र हैं सिमडेगा, खूंटी, तोरपा एवं एक अन्य। ये विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य हैं। मंत्री केदार कश्यप स्वयं आदिवासी समुदाय के हैं और उनका पूरा खानदान शुरू से आदिवासियों और बस्तर के विकास के लिए संघर्ष करता आया है। केदार कश्यप के पिता स्व. बलिराम बस्तर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ और केंद्र की राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। दिवंगत बलिराम कश्यप ने बस्तर संभाग के विकास में अहम भूमिका निभाई थी।स्व. बलिराम कश्यप के नाम का डंका अविभाजित बिहार और ओड़िशा तक के आदिवासी जिलों में बजता रहा। बिहार से अलग होकर बने झारखंड राज्य के उन जिलों में भी बलिराम कश्यप की लोकप्रियता रही है, जो आदिवासी बाहुल्य हैं। इसके अलावा केदार कश्यप के भाई दिनेश कश्यप भी भाजपा की सक्रिय राजनीति से जुड़े हुए हैं और सांसद रह चुके हैं। कश्यप परिवार की इन्ही उपलब्धियों और लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने मंत्री केदार कश्यप को झारखंड विधानसभा के चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इस जिम्मेदारी और पार्टी नेतृत्व के भरोसे पर केदार कश्यप खरे भी उतर रहे हैं। मंत्री केदार कश्यप को जिन चार विधानसभा क्षेत्रों का कलस्टर प्रभारी बनाया गया है, वे आदिवासी बाहुल्य हैं। सिमडेगा, खूंटी और तोरपा समेत चार विधानसभा क्षेत्रों के कलस्टर प्रभारी जिम्मेदारी सम्हाल रहे मंत्री केदार कश्यप को वहां के आदिवासियों का अथाह प्यार मिल रहा है और यह प्यार तीनों सीटों के भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में वोटों के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं। इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में आज भी ऐसे सैकड़ों लोग मौजूद हैं जो दिवंगत आदिवासी नेता बलिराम कश्यप को आदिवासियों के मसीहा के तौर पर जानते और पूजते हैं। जैसे जैसे वहां के लोगों को पता चलता जा रहा है कि केदार कश्यप आदिवासी समुदाय से हैं और दिवंगत नेता बलिराम कश्यप के सुपुत्र हैं, लोग केदार कश्यप को पलकों पर बिठाने आतुर होते जा रहे हैं। चारों विधानसभा क्षेत्रों में केदार कश्यप का जादू चल रहा है। इसे देखते हुए अन्य आदिवासी सीटों के भी भाजपा प्रत्याशी अब केदार कश्यप को अपने पक्ष में प्रचार के लिए आमंत्रित करने लगे हैं।

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